ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ड्रोन क्षमता दिखाने के लिए सेना ने लांच किये दो नए कार्यक्रम

– चीन सीमा पर लेह के पास 4000-5000 मीटर की ऊंचाई पर होगा प्रदर्शन – अब तक 25 से अधिक स्वदेशी ड्रोन निर्माता कंपनियों ने पंजीकरण कराया

नई दिल्ली, 04 सितम्बर (हि.स.)। भारतीय सेना काफी ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अपनी ड्रोन क्षमताओं को प्रदर्शित करने के लिए दो नए कार्यक्रम लांच करने जा रही है। सैन्य प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके ऊंचाई वाले क्षेत्रों में संचालित किये जाने वाले इन दोनों कार्यक्रमों का खुलासा बुधवार को हुआ है। इस कार्यक्रम को चीन सीमा पर लेह के पास 4000-5000 मीटर की ऊंचाई पर वास्तविक इलाके और पर्यावरणीय परिस्थितियों में आयोजित करने की योजना है।

आर्मी डिजाइन ब्यूरो के अपर महानिदेशक मेजर जनरल सीएस मान ने बताया कि भारतीय सेना सियाचिन ग्लेशियर की बर्फीली ऊंचाइयों से लेकर बीहड़ हिमालय तक तैनात है, जहां सैनिकों को रोजाना कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। दुर्लभ वातावरण के कारण ड्रोन के हवा में उड़ने की क्षमता कम हो जाती है और इंजन का प्रदर्शन खराब हो जाता है। अत्यधिक ठंडे तापमान और तेज हवा की गति से यह समस्या और भी बढ़ जाती है। ये स्थितियां भारतीय सेना के लिए ठीक नहीं हैं, इसलिए ऐसी प्रणालियों की जरूरत महसूस की गई, जो इन विपरीत परिस्थितियों में भी पर्याप्त रूप से कार्य कर सकें।

उन्होंने बताया कि भारत के अलावा इतनी ऊंचाई वाले युद्धक्षेत्र कहीं और नहीं हैं, इसलिए स्वदेशी समाधान ही आगे बढ़ने का रास्ता है। यदि स्वदेशी ड्रोन उद्योग सफल होता है तो अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में भी व्यापार के रास्ते खुलेंगे, जिससे भारत विश्वसनीय ड्रोन विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित होगा। मेजर जनरल मान ने दो नए ऐतिहासिक कार्यक्रमों ‘हिम-ड्रोन-ए-थॉन 2’ और ‘हिमटेक-2024’ का खुलासा करते हुए बताया कि दोनों ऐतिहासिक कार्यक्रम काफी ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अपनी ड्रोन क्षमताओं को प्रदर्शित करने के लिए डिजाइन किये गए हैं। भारतीय ड्रोन उद्योग के लिए ‘हिम-ड्रोन-ए-थॉन 2’ कार्यक्रम 17-18 सितंबर को लेह के पास वारी ला में होगा। इसके बाद 20-21 सितंबर को हिमटेक-2024 आयोजित होगा।

उन्होंने बताया कि यह दोनों ऐसे कार्यक्रम हैं, जिन्हें ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सैन्य प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करने के लिए लांच किया जा रहा है। ‘हिम-ड्रोन-ए-थॉन 2’ उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए भारतीय सेना के लिए ड्रोन समाधान पर ध्यान केंद्रित करेगा। इसे 4000-5000 मीटर की ऊंचाई पर वास्तविक इलाके और पर्यावरणीय परिस्थितियों में आयोजित करने की योजना है। इसी तरह उत्तरी सीमा पर परिचालन जरूरतों को पूरा करने के लिए हिमटेक-2024 पहली बार लेह में होगा। दोनों कार्यक्रमों का हिस्सा बनने के लिए अब तक 25 से अधिक ड्रोन निर्माता कंपनियों ने पंजीकरण कराया है। सभी कंपनियां अपनी-अपनी क्षमताओं को साबित करने के लिए अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र में बहुआयामी प्रतियोगिता में भाग लेंगी।

मेजर जनरल सीएस मान ने बताया कि स्वदेशी ड्रोन निर्माताओं को निगरानी ड्रोन, युद्ध सामग्री, लॉजिस्टिक्स ड्रोन, स्वार्म ड्रोन, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर, सिंथेटिक एपर्चर रडार, कम्युनिकेशन इंटेलिजेंस और इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस वाले ड्रोन का प्रदर्शन करने के लिए आमंत्रित किया गया है। फिक्की के सहयोग से आयोजित होने वाला यह कार्यक्रम न केवल ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए विकसित नई पीढ़ी के उपकरणों का प्रदर्शन करेगा, बल्कि नए प्रौद्योगिकी डेवलपर्स के लिए लेह को नए व्यापार स्थल के रूप में भी पेश करेगा। इस प्रौद्योगिकी का उपयोग केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में नागरिक उपयोग के लिए भी किया जा सकता है।

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