मेरठ, 02 सितम्बर (हि.स.)। शहर की स्ट्रीट लाइट लगाने वाली कंपनी के 37 करोड़ रुपए बकाया के बदले सोमवार को महापौर की अध्यक्षता नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक में ढाई करोड़ के भुगतान को मंजूरी दी गई। इस दौरान महापौर और पार्षदों ने इस कंपनी पर गंभीर आरोप लगाए, लेकिन नगर निगम अधिकारियों ने शासन के आदेश का हवाला देकर कुछ भुगतान कराने के लिए कार्यकारिणी को मनाया।
सूरजकुंड रोड स्थित महापौर कैंप कार्यालय में सोमवार को महापौर हरिकांत अहलूवालिया की अध्यक्षता में नगर निगम की कार्यकारिणी की विशेष बैठक हुई। बैठक में शहर में स्ट्रीट लाइट लगाने वाली कुपनी ईईएसएल के काम को लेकर महापौर और पार्षदों ने गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि इस समय शहर अंधेरे में है और लोग परेशान हैं। जबकि ईईएसएल कंपनी के अधिकारियों को लोगों की समस्या दिखाई नहीं देती। पार्षदों ने आपत्ति जताते हुए कहा कि जब कंपनी के कर्मचारी काम ही नहीं करते तो भुगतान क्यों किया जा रहा है। नगर आयुक्त डॉ. अमित पाल शर्मा ने कहा कि शासन का आदेश है कि कंपनी को कुछ भुगतान किया जाए। नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि भारत सरकार से अनुबंधित कंपनी ईईएसएल की पेमेंट रिलीज होने जरूरी है, क्योंकि यह शासन का आदेश है। महापौर की नाराजगी के बीच मात्र ढाई करोड़ के भुगतान की स्वीकृति प्रदान की गई। महापौर ने कहा कि दीपावली में मात्र दो महीने का समय बचा है। ऐसे में नगर निगम हर वार्ड के लिए कम से कम 100-100 स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था करें। इस पर बैठक में ही मौजूद वित्त नियंत्रक और मुख्य लेखा परीक्षक की राय ली गई। इस पर दीपावली को लेकर 9000 स्ट्रीट लाइट खरीदनें की बात हुई। कार्यकारिणी सदस्यों ने कहा कि शहर के अधिकांश क्षेत्रों में स्ट्रीट लाइट बंद पड़ी है। जहां लाइटों की जरूरत नहीं है, वहां दिन में भी लाइट जलती रहती है। इसके बाद भी कंपनी को 37 करोड़ रुपए के भुगतान का दबाव निगम अधिकारियों द्वारा बनाया जा रहा है। उन्होंने कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने और भुगतान पर रोक लगाने की मांग की। बैठक में पार्षद कीर्ति घोपला, संजय सैनी, रेखा सिंह आदि उपस्थित रहे।