भोपाल, 30 अगस्त (हि.स.)। मध्य प्रदेश शिक्षा विभाग ने न्यायालय के निर्णय पर प्रभावी कदम उठाते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस निर्णय के अनुसार अब प्राथमिक शिक्षक की अनिवार्य योग्यता में डीएड को मान्यता दी जाएगी न कि बीएड पास को, यदि गलती से किसी का चयन 11 अगस्त 2023 के बाद से बीएड के आधार पर प्राथमिक शिक्षक के रूप में हो गया है तो ऐसे सभी लोगों की नौकरी अब समाप्त हो जाएगी। इसके लिए विभाग का अब आदेश भी सामने आ गया है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाई गई थी, जिसमें मांग की गई कि प्राथमिक कक्षा में पढ़ाने की अनिवार्य योग्यता डीएड की जाए न कि बीएड। इसके बाद न्यायालय ने अपने निर्णय में स्पष्ट कर दिया कि डीएड प्राथमिक कक्षा के शिक्षक के लिए आवश्यक है। उसने ये आदेश 11 अगस्त 2023 को दिया था और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् (एनसीटीई) की 28 जून 2018 की अधिसूचना को निरस्त कर दिया था। वहीं, इस संबंध में एक याचिका जबलपुर हाईकोर्ट में लगाई गई थी, जिस पर न्यायालय का निर्णय तीन मई 2024 को सामने आया और जारी आदेश में कहा गया कि 11 अगस्त 2023 के पूर्व नियुक्त बीएड योग्यता धारक उम्मीदवार को ही प्राथमिक शिक्षक के रूप में मान्य किया जाए। स्वभाविक तौर पर इसके बाद की हुई समस्त नियुक्तियां जिनमें डीएड के स्थान पर बीएड मान्यता को शिक्षा विभाग ने स्वीकारा था, वे अमान्य होने की स्थिति में आ गईं।
इस संबंध में लोकशिक्षण संचालनालय भोपाल से निकाली गई जानकारी के आधार पर सामने आया है कि वर्ष 2023 में 11 अगस्त के बाद कई नियुक्तियां हुई हैं, जिनमें से प्राथमिक शाला के शिक्षक भी शामिल हैं। इन सभी की योग्यता डीएड के स्थान पर बीएड है। अब ऐसे प्राथमिक शिक्षक बनने वाले 341 शिक्षकों की नियुक्तियां निरस्त हो रही हैं । इसके लिए एक आदेश इसी माह 28 अगस्त का सामने आया है जोकि तमाम नियमों की अनिवार्यता से भरा है। इसमें साफ लिखा है कि यह आदेश और उसके बाद नियुक्त किए गए शिक्षकों के मामले में प्रभावी होगा।
इसमें कहा गया है कि मप्र लोकशिक्षण संचालनालय का यह निर्णय प्राथमिक शिक्षक नियोजन 2023 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के अनुक्रम में कार्यवाही विषयक लिया जा रहा है। साथ में इसमें प्राथमिक शिक्षक की व्यावसायिक योग्यता बीएड के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के पारित आदेश में एनसीटीई की अधिसूचना को निरस्त करने के साथ ही उच्च न्यायालय जबलपुर में पारित आदेश का हवाला दिया गया है और यह पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया गया है कि 11 अगस्त 2023 के पूर्व नियुक्त बीएड योग्यताधारी प्राथमिक शिक्षक की अभ्यर्थिता को ही मान्य किया जाएगा अर्थात इसके पश्चात नियुक्त बीएड योग्यताधारी अभ्यर्थियों की प्राथमिक शिक्षक पदों पर नियुक्ति मान्य नहीं होगी।
प्रदेश के जिला शिक्षा अधिकारियों को भेजे इस पत्र में निर्देशित किया गया है कि नियुक्त प्राथमिक शिक्षकों की व्यावसायिक योग्यता का जिले में उपलब्ध रिकार्ड से परीक्षण कर बीएड योग्यताधारी प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति तत्काल निरस्त करें। फिलहाल यह पत्र प्रदेश के 25 जिलों के शिक्षा अधिकारियों को भेजा गया है । जिनमें कि आगर मालवा, आलीराजपुर, अशोकनगर, छतरपुर, दमोह, डिंडौरी, गुना, कटनी, खंडवा, मंदसौर, मुरैना, नरसिंहपुर, नीमच, निवाड़ी, पन्ना, रायसेन, रतलाम, सागर, श्योपुर, शिवपुरी, सीधी, सिंगरौली, टीकमगढ़, उज्जैन एवं विदिशा शामिल हैं। इसके बाद अब यह तय माना जा रहा है कि जिन भी बीएड धारी शिक्षकों की नियुक्ति 11 अगस्त 2023 के बाद राज्य के किसी भी जिले में प्राथमिक शिक्षक के रूप में हुई है, उनकी नौकरी समाप्त हो जाएगी।