सरना और सनातन दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू: स्वामी निर्मलानंद

खूंटी, 25 अगस्त (हि.स.)। महर्षि मेंही आश्रम मलियादा मुरहू में कुप्पा घाट भागलपुर के संत स्वामी डॉ निर्मलानंद के सानिध्य में जारी तीन दिवसीय सत्संग का समापन रविवार को हुआ। सत्संग में स्वामी निर्मलानंद ने कहा कि हम सभी एक ही ईश्वर की संतान हैं। सरना और सनातन दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। मंदिर, मस्जिद या गुरुद्वारा सभी जगहों पर मानव जीवन को कल्याणकारी बनाने की बात बताई जाती हैं।

निर्मलानंद ने कहा कि सत्संग श्रवण से जीवन के सभी दुःखों-समस्याओं का अंत हो जाता है। मनुष्य की उपादेयता सद्ग्रंथों में वर्णित हैं, जिसे हम सत्संग के माध्यम जान पाते हैं, अपना उद्धार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सूरदास प्रतिदिन भगवान के दर्शन के लिए मंदिर जाते थे। लोगों ने उन्हें टोका कि आप तो देख नहीं सकते, फिर दर्शन कैसें करेंगे। सूरदास ने कहा कि माना मैं अंधा हूं लेकिन परमात्मा तो हमें देख सकते हैं। मेरी हाजिरी लगती है, सत्संग हो जाता है।

स्वामी लक्ष्मण ने कहा कि सत्संग से संस्कार जागृत होता है, जिससे हमारा जीवन भक्तिमय और सुखमय बन जाता है। स्वामी अखिलेश बाबा ने कहा कि गुरु मंत्र का जप तथा ध्यान भजन और सत्संग नियमित करना चाहिए। लोदरो लाहिरी बाबा ने कहा कि बड़े भाग्य होते हैं, तब सद्गुरु और सत्संग मिलता है। दिगंबर बाबा ने भी सत्संग को परमात्मा दर्शन का मार्ग बताया। मौके पर भंडारा का भी आयोजन किया गया था।

कार्यक्रम में डॉ डीएन तिवारी, मुरलीधर ब्रम्हचारी, संजय कुमार, नंदिनी देवी, सुनीता कुमारी,सुखराम मुंडा, बसंत कुमार, रामहरि साव, भावानंद यादव, हरिद्वार ठाकुर, धर्मेंद्र ठाकुर, सुनील रजक, सूरजमल, बीरू कुमार, मुचीराय मुंडा, कांडे मुंडा, जगमोहन पूर्ति देवमन पूत्रि, सुबोध कुमार, डब्लू कुमार आदि उपस्थित थे।


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