भोपाल, 14 अगस्त (हि.स.)। मध्यप्रदेश के तवा जलाशय को रामसर साइट के रूप में मान्यता मिल गई है। इससे देश में रामसर साइट की सूची 82 से बढ़कर 85 हो गई है। यह उपलब्धि बुधवार को स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर मिली। प्रदेश के पर्यावरण मंत्री राम निवास रावत ने अधिकारियों की टीम को बधाई दी है।केन्द्रीय वन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने अपने ट्वीट में बधाई देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश के तवा जलाशय को रामसर साइट के रूप में जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि भारत को यह संकल्प लेना चाहिए कि “विकसित भारत’’ एक हरित भारत है।
गौरतलब है कि तवा जलाशय, तवा और देनवा नदियों के संगम पर है। तवा रिजर्वायर की प्रमुख सहायक नदियाँ मलानी, सोनभद्र, और नागद्वारी हैं। तवा नदी महादेव पहाड़ियों से उत्पन्न होती है, बैतूल जिले से बहती है और नर्मदापुरम जिले में नर्मदा नदी से मिलती है। यह नर्मदा नदी की सबसे लंबी सहायक नदी है (172 किमी)। तवा रिजर्वायर इटारसी शहर के पास स्थित है। रिजर्वायर मुख्यतः सिंचाई के उद्देश्य से निर्मित किया गया था। हालांकि, बाद में इसका उपयोग विद्युत उत्पादन और मत्स्य पालन के लिए भी किया जा रहा है। तवा रिजर्वायर का कुल जलमग्न क्षेत्र 20,050 हेक्टेयर है। रिजर्वायर का कुल जलग्रहण क्षेत्र 598,290 हेक्टेयर है।तवा जलाशय वन विभाग, नर्मदापुरम जिले के प्रशासनिक नियंत्रण में आता है। रिजर्वायर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के अंदर स्थित है और सतपुड़ा नेशनल पार्क और बोरी वन्यजीव अभयारण्य की पश्चिमी सीमा बनाता है। रिजर्वायर जल जीवों और वन्य जीवों के लिए महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से पक्षियों और जंगली जानवरों के लिए। यहाँ कई दुर्लभ और संकटग्रस्त पौधों, सरीसृपों और कीटों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यह स्थानीय और प्रवासी पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण आवास है। यह मध्य प्रदेश राज्य का सबसे बड़ा संरक्षित क्षेत्र है। यह क्षेत्र पारिस्थितिकीय, पुरातात्विक, ऐतिहासिक और वनस्पति के दृष्टिकोण से कई अनूठी विशेषताओं से सम्पन्न है।उल्लेखनीय है कि भारत ने 1971 में ईरान के रामसर में कन्वेंशन में सहभागी बनने के लिए हस्ताक्षर किए थे और 1 फरवरी 1982 को इस कन्वेंशन में शामिल हुआ। वर्ष 1982 से 2013 तक, कुल 26 साइट्स को रामसर साइट्स की सूची में जोड़ा गया, जबकि 2014 से 2024 तक, देश ने 59 नई वेटलैंडस को रामसर साइट्स की सूची में जोड़ा है।