नई दिल्ली, 10 अगस्त (हि.स.)। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने लोकसभा में पेश वक्फ संशोधन विधायक को आगे के विचार के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को सौपें जाने के बाद इस पर संतोष जताया है। बोर्ड के महासचिव मौलाना मोहम्मद फज़ल-उर-रहीम मुजद्दिदी ने कहा कि 31 सदस्यीय संयुक्त संसदीय समिति का गठन भी हो गया है। बोर्ड जल्द ही इस समिति के सदस्यों से मिलकर अपना पक्ष रखने की कोशिश करेगा। इस सिलसिले में बोर्ड की पूरी टीम को समिति के सदस्यों से संपर्क साधने और अपना पक्ष मजबूती के साथ रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।बोर्ड महासचिव ने एक बयान में बताया कि अगस्त 2024 की शुरुआत में बोर्ड के पदाधिकारियों, मुस्लिम संगठनों के प्रमुखों और क़ानूनी समिति के सदस्यों की एक ऑनलाइन बैठक बोर्ड अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी की अध्यक्षता में हुई थी जिसमें वक़्फ़ संशोधन विधेयक-2024 के संबंध में तय किया गया कि सभी विपक्षी दलों के नेताओं और भाजपा-नीत राजग के सहयोगी दलों के जिम्मेदारों से मुलाक़ात की जाए। इसलिए तत्काल प्रभाव से इस पर अमल करते हुए मुलाक़ातें की गईं। उन्हें इस विधेयक के लाभ एवं हानि से अवगत कराया गया। सभी मुस्लिम सांसदों और अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं को पत्र भी भेजे गए।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक में वक़्फ़ अधिनियम को कमज़ोर करने, वक़्फ़ संपत्तियों पर अतिक्रमण का रास्ता साफ करने, वक़्फ़ बोर्डों का दर्जा कम करने, वक़्फ़ ट्रिब्यूनल और सर्वेक्षण आयुक्तों की शक्तियां कलेक्टरों और पटवारियों को हस्तांतरित करने के अलावा ऐसे कई संशोधन लाए जा रहे हैं जिससे वक़्फ़ एक्ट की उपयोगिता घट रही है। इसी तरह न सिर्फ वक़्फ़ एक्ट का नाम बदला जा रहा है बल्कि सेंट्रल वक़्फ़ काउंसिल और वक़्फ़ बोर्डों में अलग-अलग लोगों के प्रतिनिधित्व के लिए ऐसा नियम लाया जा रहा है जिससे इन दोनों संस्थाओं की पकड़ ढीली हो जाए। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सरकार के इस कदम का पुरज़ोर विरोध करता है और विपक्षी दलों और राजग के सहयोगियों से पुरज़ोर अपील करता है कि वह सरकार को उसके नापाक उद्देश्यों में कामियाब न होने दें।