गाजियाबाद, 21 जुलाई (हि.स.)। फिशिंग मेल हैकर्स ने कौशांबी स्थित एक ऑटोमोटिव टेस्ट सिस्टम्स (एटीएस) कंपनी को एक करोड़ रुपये का चूना लगा दिया। एटीएस कपंनी प्रबंधन ने गाजियाबाद जिले के साइबर थाने में इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज कराई है।
कंपनी प्रबंधन की तहरीर में कहा गया है कि फिशिंग मेल हैकर्स ने आईसीआईसीआई और एचडीएफसी बैंक के दो खातों में एक करोड़ पांच लाख 38 हजार 832 रुपये के बराबर ब्रिटिश मुद्रा (पाउंड) ट्रांसफर करा ली। पुलिस ने मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी है। कंपनी को कच्चे माल की जरूरत थी और इस संबंध में ब्रिटेन की एक जानी-मानी कंपनी से डील चल रही थी। इसी बीच साइबर क्रिमिनल्स फिशिंग मेल के जरिए दोनों कंपनियों के बीच घुस गए और आईसीआईसीआई और एचडीएफसी बैंक के दो खातों में एक करोड़ पांच लाख 38 हजार 832 रुपये के बराबर ब्रिटिश मुद्रा (पाउंड) ट्रांसफर करा ली। छह जून और नौ जुलाई के बीच तीन बार में भुगतान किया गया, लेकिन भुगतान ब्रिटेन की कंपनी को प्राप्त नहीं हुआ। एटीएस कंपनी के मालिक ने जब ब्रिटेन की कंपनी से पेमेंट की कंर्फेमेशन प्राप्त करने का प्रयास किया तो उनके होश उड़ गए।
तहरीर में बताया गया कि ब्रिटेन की जिस कंपनी से माल आयात करने की बात चल रही थी उस कंपनी के नाम से ही उन्हें मेल प्राप्त हुआ था। सेंडर के नाम में बहुत मामूली सा फर्क था, जो पकड़ में नहीं आया। इस मेल के जरिए हमारी कंपनी के साथ हुई डील के लिए पेमेंट के लिए खाता विवरण बदलने के लिए कहा गया था। इसी मेल में आईसीआईसीआई और एचडीएफसी बैंक के दो खातों की जानकारी भेजकर उनमें भुगतान की बात कही गई। यह खाते भी उस कंपनी से मिलते-जुलते नाम पर ही थे। बाद में मिलान करने पर पता चला कि ई-मेल आईडी में केवल एक एल्फाबेट का अंतर था।
यह राशि तीन बार में आईसीआईसीआई और एचडीएफसी बैंक के खातों में भेजी गई थी। 47,732.32 ब्रिटिश पाउंड का पहला भुगतान आईसीआईसीआई बैंक के खाते में 6 जून को हुआ था। दूसरा भुगतान 27 जून को एचडीएफसी के खाते में 31,212 पाउंड का किया गया जबकि 22,637 ब्रिटिश पाउंड का तीसरा और अंतिम भुगतान 9 जुलाई को हुआ। एटीएस कंपनी के पार्टनर रामनाथन श्रीनिवास का कहना है कि मेल में दिए गए खाते भी उसी कंपनी के नाम पर दिख रहे थे और कंपनी के नाम को देखते हुए उन्होंने भुगतान कर दिया। बाद में पेमेंट कन्फर्म के लिए उन्होंने कंपनी से संपर्क किया तो पैरों तले की जमीन खिसक गई। रकम कंपनी को प्राप्त ही नहीं हुई थी।