नई दिल्ली, 19 जुलाई (हि.स.)। विश्व धरोहर समिति की 21 जुलाई से दिल्ली में होने जा रही बैठक में भारत की तरफ से इस बार असम के शाही कब्र स्थल मोईदाम का प्रस्ताव रखा जाएगा। माना जा रहा है कि इस बैठक में भारत के इस प्रस्ताव को समर्थन मिल सकता है और मोईदाम यूनेस्को की धरोहर सूची में शामिल किया जा सकता है। असम के चराईदेव जिले में ये शाही कब्र स्थल स्थित है। यह भारत के महत्वपूर्ण मध्यकालीन आहोम राजवंश के शाही परिजनों के लिए बना कब्रगाह टीला है। इससे पहले एशिया में किसी कब्र स्थल को विश्व धरोहर घोषित नहीं किया गया है।
केन्द्रीय संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने शुक्रवार को प्रेस कान्फ्रेंस में बताया कि 21 जुलाई से 31 जुलाई तक चलने वाली विश्व धरोहर समिति की बैठक में भारत की तरफ से मोईदाम का प्रस्ताव रखा जाएगा। मोईदाम केवल असम राज्य में चराईदेव में पाए जाते हैं। ये चीन से आए ताई-अहोम जनजातियों के राजाओं के कब्र स्थल हैं। इन जनजातियों के राजाओं ने 12वीं से 18वीं ईस्वी के बीच उत्तर-पूर्व भारत में ब्रह्मपुत्र नदी घाटी के विभिन्न हिस्सों में अपनी राजधानी स्थापित की थी।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के मुताबिक असम के शिवसागर जिले में स्थित इस मोईदाम को विश्व धरोहर घोषित कराने का प्रस्ताव 15 अप्रैल 2014 काे यूनेस्को के पास भेजा था। माईदाम 2014 में ही यूनेस्को विश्व धरोहर की अस्थाई सूची में शामिल हो गया था। जनवरी 2023 में इसका भारत की तरफ से आधिकारिक नामांकन किया गया। इसका डोजियर तैयार किया था। इसके बाद यूनेस्को के लिए काम कर रही टीम स्मारक का दौरा कर चुकी है। टीम अपनी रिपोर्ट यूनेस्को को सौंप चुकी है।
असम के चराइदेव मोईदाम पुराने राजवंश अहोम साम्राज्य से संबंधित है। इसकी स्थापना चाओ लुंग सिउ-का-फा ने 1253 में की थी। इन्हें असम के पिरामिड के रूप में भी जाना जाता है। यह ऐतिहासिक स्थल शिवसागर जिले से लगभग 28 किमी दूर स्थित है। चराइदेव अहोम राजवंश की टीले वाली दफ़न प्रणाली के रूप में जाना जाता है। यह अहोम सम्राट की कब्रगाह थी और अहोम समुदाय के लिए एक पवित्र स्थान है। अहोम समुदाय से जुड़े लोगों ने 18 वीं शताब्दी के हिंदू रीतिरिवाजों से दाह संस्कार पद्धति को शुरू कर दिया था।