नई दिल्ली, 17 जुलाई (हि.स.)। केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि जेलों में बंद सभी व्यक्तियों के साथ समान व्यवहार किया जाए और किसी भी व्यक्ति, विशेष रूप से समलैंगिक समुदाय (एलजीबीटीक्यू+) से संबंधित व्यक्ति के साथ किसी भी तरह का भेदभाव न किया जाए।
गृह मंत्रालय ने गृह सचिवों और जेल प्रमुखों को इस संबंध में एक पत्र लिखा है। अपने पत्र में निदेशक (जेल सुधार) अरुण सोबती ने कहा कि गृह मंत्रालय के संज्ञान में आया है कि समलैंगिक समुदाय (एलजीबीटीक्यू+) के सदस्यों के साथ अक्सर उनकी लैंगिक पहचान या यौन रूझान के कारण भेदभाव किया जाता है तथा उन्हें अक्सर हिंसा और अनादर का सामना करना पड़ता है। यह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कि समलैंगिक समुदाय को वस्तुओं और सेवाओं तक पहुंच में कोई भेदभाव न हो, जो आम जनता के लिए उपलब्ध हैं, विशेष रूप से जेल मुलाक़ात के अधिकारों के संदर्भ में, दिशा-निर्देशों को दोहराया जाता है।
जेल अधिकारियों से अनुरोध किया गया है कि वे संबंधित अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए संवेदनशील बनाएं कि सभी व्यक्तियों के साथ समान रूप से निष्पक्ष और न्यायपूर्ण तरीके से व्यवहार किया जाए और किसी भी व्यक्ति, विशेष रूप से समलैंगिक समुदाय से संबंधित लोगों के साथ किसी भी तरह का भेदभाव न किया जाए। गृह मंत्रालय ने कार्यान्वयन के लिए सभी राज्यों के साथ मॉडल जेल मैनुअल, 2016 और मॉडल जेल और सुधार सेवा अधिनियम, 2023 भी साझा किया है।