‘योग और प्राणायाम से रूमेटाइड अर्थराइटिस को किया जा सकता है नियंत्रित’

नई दिल्ली, 15 जुलाई (हि.स.)। योग और प्राणायाम से रूमेटाइड अर्थराइटिस (गठिया) के रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने इस संबंध में किए गए शोध में पाया कि प्राणायाम और योग के जरिए रूमेटाइड अर्थराइटिस की बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है। योग शरीर में सूजन को घटाता है और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को भी कम करता है। योग के जरिए जीन में हुए बदलाव को भी ठीक किया जा सकता है। योग से शरीर में इम्यूनोलॉजिकल टोलरेंस भी आ जाता है, जिससे रूमेटाइड अर्थराइटिस जैसी बीमारी में काफी आराम मिलता है।

नई दिल्ली एम्स में एनाटॉमी डिपार्टमेंट की प्रोफेसर डॉ. रीमा दादा ने बताया कि रूमेटाइड अर्थराइटिस की बीमारी में जोड़ों में काफी दर्द होता है। इस बीमारी का असर दिल, फेफड़ों, त्वचा पर भी हो सकता है। अगर समय पर इसका इलाज न हो तो ये बीमारी पूरे शरीर में फैल सकती है। इस कारण मरीज की स्थिति भी बिगड़ सकती है। रूमेटाइड अर्थराइटिस की वजह से शरीर में सूजन आ जाती है। स्ट्रेस की वजह से यह समस्या और बढ़ सकती है। लेकिन योग से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि एम्स नई दिल्ली में एक रिसर्च में पता चला है कि योग और प्राणायाम के नियमित अभ्यास से अर्थराइटिस की बीमारी काबू में आ जाती है।

क्या होता है रूमेटाइड अर्थराइटिस-

इस बीमारी में मरीज के शरीर का इम्यून सिस्टम उसके स्वस्थ टिश्यू और सेल्स पर हमला करने लगता है। सामान्य अर्थराइटिस की तुलना में रूमेटाइड अर्थराइटिस ज्यादा खतरनाक होती है। ये बीमारी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। सुबह के समय शरीर के किसी हिस्से में अकड़न और जोड़ों का दर्द इस बीमारी के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। अगर इनको पहचान कर इसको कंट्रोल कर लें तो शरीर के दूसरे हिस्सों तक अर्थराइटिस के प्रभाव को पड़ने से रोका जा सकता है।

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