छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री साय ने अपने मंत्रियों के साथ किए रामलला के दर्शन

अयोध्या, 13 जुलाई (हि.स.)। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपनी मंत्रिपरिषद के सहयोगियों के साथ शनिवार को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला के दर्शन किए। मुख्यमंत्री साय के साथ छत्तीसगढ़ भाजपा के अध्यक्ष किरण देव, प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय और क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल भी दर्शन के लिए पहुंचे थे।

दर्शन करने वालों में उप मुख्यमंत्री अरुण साव एवं विजय शर्मा, कृषि मंत्री राम विचार नेताम, वन मंत्री केदार कश्यप, खाद्य मंत्री दयाल दास बघेल, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, वित्त मंत्री ओपी चौधरी, श्रम मंत्री लखन लाल देवांगन, महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े, खेल मंत्री टंकराम वर्मा भी रहे।

मुख्यमंत्री साय ने इस मौके पर भगवान राम के ननिहाल का उपहार भी प्रभु के चरणों में अर्पित किया। उन्होंने छत्तीसगढ़ से शबरी माता की भूमि शिवरीनारायण से बेर तथा पवित्र जल, विष्णु भोग का चावल, अनारसा, करी लड्डू तथा कोसे के वस्त्र प्रभु को अर्पित किए। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रभु राम से छत्तीसगढ़ के लोगों की सुख समृद्धि की कामना की।

उन्होंने कहा कि हम लोग पूरी कैबिनेट के साथ रामलला के दर्शन के लिए आज अयोध्या धाम आए। भगवान श्रीराम हमारे छत्तीसगढ़ के भांजे हैं। भांचा राम के दर्शन के लिए हम लोग बहुत उत्सुक थे। भगवान श्रीराम के आशीर्वाद से वो शुभ घड़ी आ गई है जब हम लोगों को अयोध्या धाम में रामलला के दर्शन का सौभाग्य मिला। जब हमने रामलला के दर्शन का निर्णय लिया तो सोचा कि जबअपने भांजे के दर्शन के लिए जाएंगे तो उनके लिए ननिहाल की तरफ से क्या उपहार लेकर जाएं। फिर विचार आया कि इससे अच्छा उपहार भगवान श्रीराम के लिए क्या हो सकता है कि हम उस पवित्र भूमि शिवरीनारायण से बेर ले जाकर भगवान को भेंट करें, जहां के बेर खुद माता शबरी ने प्रभु राम को अपने हाथों से खिलाये थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन जूठे बेरों का स्मरण हमेशा के लिए लोक स्मृति में दर्ज हो गया है। माता शबरी की इस धरती से भगवान श्रीराम के लिए यह उपहार ले जाने का हमें सौभाग्य मिला, इससे बढ़कर हमें क्या चाहिए।

साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ जनजातीय प्रदेश है। यहां माता शबरी और अनेक जनजातीय विभूतियों ने भगवान राम का स्वागत किया है। हमारी यह धरती धन्य है। यह अद्भुत संयोग है कि छत्तीसगढ़ भगवान राम का ननिहाल भी है और यह उनके वन गमन पथ का हिस्सा भी है। रामकथा से जुड़े विद्वान बताते हैं कि श्रीराम ने अपने वनवास के 14 वर्षों में 10 वर्ष यहीं गुजारे। उन्होंने रामायण के प्रसंगों से भी अपनी बात बताई। मुख्यमंत्री ने कहा कि रामायण के प्रसंग जनजातीय लोगों से श्रीराम के अद्भुत स्नेह तथा प्रभु श्रीराम के जनजातीय लोगों से अपार प्रेम की कहानी कहते हैं।

उन्होंने कहा कि उनका सौभाग्य है कि प्रदेश के मुखिया के रूप में अयोध्या पहुंच कर छत्तीसगढ़ के लोगों के अपने आराध्य के प्रति अगाध स्नेह और भक्ति व्यक्त करने का माध्यम बने हैं।

रामलला के दर्शनों से अभिभूत मुख्यमंत्री साय ने कहा कि श्रीराम ने हमें रामराज्य का आदर्श दिया है। छत्तीसगढ़ में रामराज्य के आदर्श को लेकर हम चल रहे हैं। श्रीरामलला का दर्शन कर हमने प्रभु से अपने प्रदेश के सुख-समृद्धि की कामना की है।

साय ने कहा कि अयोध्या धाम श्रीरामलला दर्शन योजना के माध्यम से हमारे प्रदेश के बहुत से श्रद्धालु श्रीरामलला के दर्शन का पुण्य लाभ ले चुके हैं। उन सबसे श्रीरामलला के भव्य मंदिर और उनकी मंजुल मूर्ति की प्रशंसा सुनकर मन बहुत प्रसन्न होता था। आज हमें भी रामलला के दर्शन का सौभाग्य मिल गया।

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