हिसार, 4 जुलाई (हि.स.)। श्रीनगर में उग्रवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में देश की रक्षा करते बलिदानी जवान संतलाल का अंतिम संस्कार उसके गांव में ही शुक्रवार को किया जाएगा। संतलाल जिले के कस्बा हांसी के गांव ढाणी कुतुबपुर का निवासी था।
संतलाल के बुधवार को श्रीनगर में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान बलिदान होने की सूचना मिलते ही पूरे गांव में मातम पसर गया। गांव ढाणी कुतुबपुर में उसके निवास पर बड़ी संख्या में ग्रामीण एकत्र हो गए। संतलाल का शव श्रीनगर से आज देर रात तक गांव पहुंचने की संभावना है। गांव पहुंचने के बाद शुक्रवार को संतलाल के शव का अंतिम संस्कार राजकीय व सैन्य सम्मान के साथ किया जाएगा।
संतलाल बचपन से ही सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहता था। वह करीब पांच साल पहले सेना में भर्ती हुआ था। सेना में भर्ती होने के बाद करीब दो साल पहले उसकी शादी हुई थी और पांच महीने पहले ही उसके घर बेटे ने जन्म लिया था। संतलाल अपने बेटे के जन्म पर अप्रैल में घर आया था।
संतलाल के देश के लिए सर्वोच्च बलिदान की सूचना के बाद संतलाल के माता-पिता व पत्नी तथा परिवार के सदस्यों का बुरा हाल है। वहीं पांच माह के बच्चे जिसने अपने पिता की शक्ल भी नहीं देखी थी, के सिर से पिता का साया उठ गया। शहीद संतलाल के परिवार में उसके माता-पिता व एक बड़ा भाई तथा दो बड़ी बहनें हैं। संतलाल परिवार में सबसे छोटा था।
गांव के सरपंच अजय कुमार ने बताया कि संतलाल बहुत ही शांत व हंसमुख स्वभाव तथा मिलनसार लड़का था। गांव के सभी छोटे बड़े लोगों का पूरा सम्मान करता था। सदैव अपने से बड़े लोगों के पैर छूकर आशीर्वाद लेता था। सरपंच अजय कुमार ने बताया कि संतलाल का बचपन से ही सेना में भर्ती होकर देश सेवा करने का सपना था और छोटी सी ही उम्र में देश की शत्रुओं से रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर देश के लिए बलिदान हो गया। उन्होंने कहा कि पूरे गांव व प्रदेश को अपने सपूत की इस बलिदान पर गर्व है।