कोलकाता, 21 जून (हि.स.)। देश में तीन नए आपराधिक कानून लागू होने में बस नौ दिन बचे हैं। इसके पहले एक बार फिर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इनके क्रियान्वयन को फिलहाल स्थगित करने का आग्रह किया है।
राज्य सचिवालय नवान्न के सूत्रों ने बताया कि तीनों नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) के प्रावधानों के संबंध में पुलिस प्रशिक्षण स्कूलों में पाठ्यक्रम को अद्यतन करने की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है।
दरअसल, इस मामले में तैयारी की कमी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे गए पत्र में झलकती है, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री से नए कानूनों के क्रियान्वयन को फिलहाल स्थगित करने का अनुरोध किया है।
20 जून को लिखे गए पत्र की एक प्रति शुक्रवार सुबह सामने आई है और “हिन्दुस्थान समाचार” के पास यह उपलब्ध है।
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में सीएम ने कहा है कि नई प्रणाली में ढलने के लिए प्रारंभिक कार्य अभी समाप्त नहीं हुआ है। पत्र में, सीएम ममता बनर्जी ने यह भी तर्क दिया है कि किसी भी दूरगामी कानूनी परिवर्तन के लिए प्रभावी प्रवर्तन और प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए पहले से ही सावधानीपूर्वक जमीनी कार्य की आवश्यकता होगी।
राज्य सचिवालय के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय की कमी भी तैयारी और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को लागू करने में बाधा है। 16 जून को, केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय ने कोलकाता में इस विषय पर एक सेमिनार आयोजित किया था और इस मामले में राज्य सरकार की शिकायत यह है कि केंद्रीय मंत्रालय ने इस मामले में पश्चिम बंगाल सरकार को बिल्कुल भी शामिल नहीं किया है।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि यह बेहद आपत्तिजनक है और इसे राज्य सरकार द्वारा आयोजित किया जाना चाहिए था, क्योंकि कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है।
कानूनी विशेषज्ञों ने मामले में पश्चिम बंगाल प्रशासन की शिकायत को स्वीकार करते हुए सवाल उठाया कि राज्य सरकार को इस मामले में व्यवस्थित और समयबद्ध प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के लिए अपनी पहल को अपनाने से किसने रोका है।
कलकत्ता उच्च न्यायालय के वकील सुनील रॉय ने “हिन्दुस्थान समाचार” से कहा, “मुझे आशंका है कि शुरुआती दिनों में तीन नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन के संबंध में बहुत सारी जटिलताएं पैदा होंगी। हालांकि, समय बीतने के साथ मामला सुलझ जाएगा।”