गुवाहाटी, 04 जून (हि.स.)। पूर्वोत्तर सीमा रेलवे (पूसीरे) जोन ने अपने डिब्रूगढ़ कारखाना में पुराने जीएससीएन कोच से कुछ नए हाई स्पीड ऑटोमोबाइल कैरियर (एनएमजीएचएस) कोच का निर्माण किया है, जिसमें ऑटोमोबाइल विशेष रूप से दोपहिया वाहनों के लोडिंग/अनलोडिंग के लिए साइड डोर है। रेलवे बोर्ड से अनुमोदन मिलने के बाद अल्प समय-सीमा के भीतर तीन एनएमजीएचएस कोच का निर्माण किया गया है। अन्य तीन कोचों के निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। भारतीय रेल में पहली बार ऑटोमोबाइल लोड करने के लिए इन कोचों को पारंपरिक रूप से फ्रेट कोचों की तुलना में कई बेहतर सुविधाओं के साथ पेश किया जा रहा है, जिसमें अधिक लोडिंग क्षमता के साथ बेहतर गति और पहुंच है।
पूसीरे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सब्यसाची डे ने आज बताया है कि पूसीरे द्वारा विकसित किए जा रहे एनएमजीएचएस कोच को अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) द्वारा ऑटोमोबाइल निर्माताओं के परामर्श से रिलीज और अप्रयुक्त यात्री कोचों से डिजाइन किया गया था। डिब्रूगढ़ कारखाना द्वारा 12 टन वहन क्षमता के पारंपरिक माल सवारी कोचों की तुलना में 18 टन की उच्च पेलोड क्षमता वाली कुल तीन सवारी कोच तैयार किए जा रहे हैं। नए डिजाइन किए गए एनएमजीएचएस कोच की संभावित गति 110 किमी प्रति घंटा है, जिसमें व्यापक ओपेनिंग, प्राकृतिक पाइप लाइट, पेवमेंट मार्कर के साथ-साथ मार्गदर्शन के लिए रेट्रो रिफ्लेक्टिव टेप, चेकर्ड शीट के साथ मजबूत फर्श, सुचारू प्रवेश के लिए बेहतर फॉल प्लेट व्यवस्था के साथ-साथ आसान लॉकिंग के लिए बैरल लॉक के साथ अपग्रेडेड इंड डोर डिजाइन जैसी कई अन्य बेहतर विशेषताएं हैं। इन नए कोचों को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि बिना किसी नुकसान के कोच के अंदर चार पहिया ऑटोमोबाइल के दरवाजे भी आसानी से खोले जा सकते हैं। इन नए मॉडल के कोचों का उपयोग पैक किए गए सामग्रियों सहित विभिन्न वस्तुओं को ले जाने के लिए पार्सल वैन के रूप में भी किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय रेल सड़क परिवहन की तुलना में अपने सस्ते, तेज और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प के कारण ऑटोमोबाइल निर्माता के लिए परिवहन का एक पसंदीदा साधन बन गया है। विभिन्न प्रकार के ऑटोमोबाइल अब विनिर्माण संयंत्र से सभी पूर्वोत्तर राज्यों तक काफी कम कीमत पर रेलवे के माध्यम से सीधे पहुंचाए जा रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप आम जनता लाभान्वित हो रही है।