गुवाहाटी, 14 मई (हि.स.)। पूर्वोत्तर सीमा रेलवे (पूसीरे) की रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के लिए ट्रेनों एवं रेल परिसरों से चोरी तथा खोए हुए मोबाइल फोन का पता लगाना अब आसान हो गया है। एक बार यात्री द्वारा रेल मदद ऐप में अपने खोए/चोरी हुए मोबाइल फोन की रिपोर्ट किये जाने पर दूरसंचार विभाग (डीओटी) के सेंट्रल इक्विपमेंट आईडेनटिटी रजिस्टर (सीईआईआर) पोर्टल की मदद से पूसीरे की साइबर अपराध शाखा को मोबाइल का पता लगाने में सुविधा मिलती है। फिलहाल, यह पोर्टल असम के दूरसंचार सेवा नेटवर्क में ऐसे खोए हुए उपकरणों का पता लगाने में मदद करेगा।
पूसीरे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सब्यसाची डे ने आज बताया है कि प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त (पीसीएससी)/ पूसीरे ने गुवाहाटी की स्थानीय पुलिस और विधि प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय स्थापित किया और पूसीरे के लिए सीईआईआर तक पहुंच योजना तैयार की। पूसीरे के पीसीएससी कार्यालय के प्रतिनिधि ने नई दिल्ली में संचार मंत्रालय के संबंधित अधिकारियों के साथ भी समन्वय किया। विस्तृत चर्चा और औचित्य के बाद, पायलट प्रोजेक्ट के रूप में असम राज्य के लिए आरपीएफ को सीईआईआर पोर्टल तक पहुंच प्रदान की गई। 19 अप्रैल को दूरसंचार विभाग द्वारा सीएससी/पूसीरे के पक्ष में सीआईडी-मुख्यालय/असम के समन्वय एवं सीईआईआर अधिकारी के माध्यम से एक यूजर आईडी और पासवर्ड तैयार किया गया।
22 अप्रैल को आरपीएफ ने सीईआईआर पोर्टल में खोए/चोरी हुए मोबाइलों का विवरण अपलोड कर कार्रवाई शुरू की। आरपीएफ/पूसीरे द्वारा सीईआईआर पोर्टल के माध्यम से 09 मई तक खोए/चोरी हुए 36 मोबाइलों को ब्लॉक कर दिया गया। अब तक 15 मोबाइल सक्रिय हो चुके हैं और खोए/चोरी हुए मोबाइलों की सीईआईआर पर ट्रेसेबिलिटी रिपोर्ट प्राप्त हो गई है। आरपीएफ द्वारा 03 अपराधियों और 01 प्राप्तकर्ता की गिरफ्तारी के साथ 15 मोबाइलों में से 07 मोबाइल सफलतापूर्वक बरामद कर लिए गए हैं। सीईआईआर पहुंच ने आरपीएफ को असम में ट्रेनों और रेल परिसरों से सेल-फोन चोरी का प्रभावी ढंग से पता लगाने में मदद की है। पूसीरे का आरपीएफ इस सीईआईआर सुविधा तक पहुंच पाने वाला भारतीय रेल का पहला जोनल रेलवे है। आरपीएफ अपने क्षेत्राधिकार के अधीन सभी राज्यों में सीईआईआर सुविधा का उपयोग करने की भी योजना बना रही है।
ट्रेन के भीतर और रेल परिसरों से सेल-फोन चोरी की बड़े पैमाने पर घटनाएं एक गंभीर चिंता के रूप में उभरी हैं, जिससे आरपीएफ के संसाधनों पर दबाव पड़ रहा है। अपराधियों को पकड़ने की भरसक कोशिशों के बावजूद, आरपीएफ की पहुंच कभी-कभार अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो पाती है और इसमें व्यवस्थित संस्थागत सहयोग की कमी भी प्रतीत होती है। इसे दूर करने के लिए सीईआईआर पोर्टल की पहुंच इस प्रकार के खतरे से निपटने में प्रमुख भूमिका निभाएगी।