नई दिल्ली ०५ दिसंबर : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में केन्या के राष्ट्रपति विलियम सामोई रूटो के साथ वार्ता की। इस दौरान खेल, सूचना प्रौद्योगिकी और शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों पर विचार विमर्श के बाद भारत और केन्या के बीच पाँच समझौता ज्ञापनों के आदान प्रदान भी हुए।
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति रूटो और उनके प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए कहा कि भारत की विदेश नीति में अफ्रीका को शीर्ष प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले दशक में भारत ने अफ्रीका के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए मिशन के रूप में काम किया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि केन्या के राष्ट्रपति की इस यात्रा से केन्या और अफ्रीका के साथ भारत के संबंधों को और बढ़ाने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष भारत और केन्या के राजनयिक संबंधों के साठ वर्ष पूरे हो रहे हैं। साथ ही उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत और केन्या के रिश्ते हजारों वर्ष पुराने हैं।
केन्या के राष्ट्रपति तीन दिन की भारत यात्रा पर कल नई दिल्ली पहुँचे। उनके साथ उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी आया है।
राष्ट्रपति रूटो का आज सुबह राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत किया गया। उन्होंने कहा कि विकास की दृष्टि से पिछड़े देशों की समस्याओं से निपटने के लिए उनके और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन में बहुत से मिलते जुलते विचार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत और केन्या के बीच संबंधों को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है।
भारत यात्रा के दौरान केन्या के राष्ट्रपति ने आज राजघाट जाकर महात्मा गाँधी को श्रद्धांजलि भी अर्पित की।
विदेश मंत्री डॉ0 एस0 जयशंकर ने कल शाम केन्या के राष्ट्रपति से मुलाकात की। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में डॉ0 जयशंकर ने विकास के लिहाज से पिछड़े देशों की समस्याओं के प्रति राष्ट्रपति रूटो के विचारों की सराहना की और भारत-केन्या के द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के संबंध में उनके दृष्टिकोण को भी महत्वपूर्ण बताया।
राष्ट्रपति के रूप में श्री रूटो की यह पहली भारत यात्रा है। वे आज शाम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से भी मिलेंगे। उनके सम्मान में राष्ट्रपति मुर्मु ने आज राजकीय रात्रिभोज का आयोजन किया है।
केन्या के राष्ट्रपति नई दिल्ली में आज व्यापार और निवेश से संबंधित कार्यक्रम में भी भाग लेंगे। केन्या के राष्ट्रपति की यह भारत यात्रा छह वर्षों के बाद हो रही है। इसके माध्यम से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के और सुदृढ़ तथा मजबूत होने की उम्मीद है।