नई दिल्ली 7 सितम्बर: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारत ने अपनी जी-20 अध्यक्षता के दौरान मानव-केंद्रित प्रगति पर ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण का लाभ अंतिम छोर तक पहुंचे, यह सुनिश्चित करने के लिए भी प्रयास किये गए हैं। श्री मोदी ने एक अंग्रेजी दैनिक के लेख में कहा है कि भारत के लिए जी20 की अध्यक्षता केवल एक उच्च स्तरीय राजनयिक प्रयास नहीं है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की जननी और विविधता के मॉडल के रूप में भारत ने इस अनुभव के द्वार दुनिया के लिए खोल दिये हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा है कि भारत की जी20 अध्यक्षता ने विभाजन को पाटने, बाधाओं को दूर करने और सहयोग के प्रयास बढाने का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि भारत की अध्यक्षता एक ऐसे विश्व का आह्वान करती है, जहां एकता मतभेदों पर हावी होती है। श्री मोदी ने कहा है कि भारत ने जी-20 अध्यक्ष के रूप में वैश्विक पटल को विस्तार देने का संकल्प लिया था और यह सुनिश्चित करने के प्रयास किये गए हैं कि हर देश की बात सुनी जाए और सभी अपना योगदान दें।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में 125 देशों ने भाग लिया और यह भारत की अध्यक्षता में सबसे महत्वपूर्ण आयोजनों में से एक था। उन्होंने कहा कि भारत की अध्यक्षता में न केवल अफ्रीकी देशों की अब तक की सबसे बड़ी भागीदारी हुई है, बल्कि अफ्रीकी संघ को जी-20 के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने पर भी बल दिया गया है।
श्री मोदी ने कहा है कि भारत ग्रीन हाइड्रोजन इनोवेशन सेंटर के साथ-साथ स्वच्छ और हरित हाइड्रोजन के लिए एक वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र बनकर उभरेगा। ग्लोबल साउथ के कई देश विकास के विभिन्न चरणों में हैं और ऐसे में जलवायु कार्रवाई एक पूरक लक्ष्य की तरह होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जलवायु कार्रवाई की महत्वाकांक्षी गतिविधियां जलवायु वित्त और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर कार्रवाई के साथ जुड़ी हुई होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जी-20 की अध्यक्षता एक जन-संचालित कार्यक्रम बन गया है। उन्होंने बताया कि जी-20 में भारत की अध्यक्षता के अंत तक भारत के 60 शहरों में दो सौ से अधिक बैठकें आयोजित हो रही हैं, जिनमें 125 देशों के लगभग एक लाख प्रतिनिधियों की मेजबानी की जाएगी। श्री मोदी ने कहा कि किसी भी देश ने अपनी अध्यक्षता के दौरान इतने विशाल और विविध भौगोलिक विस्तार को शामिल नहीं किया है।