नई दिल्ली ३ अगस्त: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि दृष्टि बाधित लोगों को सहानुभूति नहीं बल्कि सशक्तीकरण के लिए शिक्षा और रोजगार क्षेत्र में समान अवसर चाहिए। नई दिल्ली में राष्ट्रीय दृष्टिबाधित परिसंघ के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार विभिन्न पहल के माध्यम से दिव्यांगों के सशक्तीकरण के लिए लगातार प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि दिव्यांगों को गरिमापूर्ण जीवन उपलब्ध कराना पूरे समाज का दायित्व है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि उन्हें समुचित शिक्षा, रोजगार अवसर तथा सुरक्षित और बेहतर जीवन मिले। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दृष्टि बाधित लोगों के जीवन में सुधार के लिए राष्ट्रीय दृष्टिबाधित परिसंघ के पिछले 50 वर्ष में किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि परिसंघ ने ऐसे लोगों के समक्ष आने वाली चुनौतियों से समाज का अवगत कराया है और समाज को अधिक समावेशी बनाया है। राष्ट्रपति ने आशा व्यक्त की कि परिसंघ भविष्य में भी बेहतर काम करेगा और दृष्टि बाधितों की आकांक्षाएं पूरी करेगा।
इस अवसर पर सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री वीरेन्द्र कुमार ने कहा कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से दृष्टि बाधितों के उत्थान के लिए कई कदम उठाए गए है। सरकार ने वर्ष 2016 में दिव्यांग अधिकार विधेयक पारित किया है जो सरकार की प्रतिबद्धता दर्शाता है। उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरियों में दृष्टिबाधितों के लिए आरक्षण 3 प्रतिशत से बढाकर 4 प्रतिशत कर दिया गया है और दिव्यांगों की श्रेणी मौजूदा 7 से बढाकर 21 कर दी गई है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री ने कहा न केवल केंद्र बल्कि राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी इनके सशक्तीकरण के लिए काम करना होगा।