नई दिल्ली २९ जुलाई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि शिक्षा में देश को सफल बनाने और देश की किस्मत बदलने की ताकत है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के भारत को बदलने में शिक्षा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। श्री मोदी आज दिल्ली के प्रगति मैदान में भारत मंडपम में अखिल भारतीय शिक्षा समागम के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। श्री मोदी ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति स्थानीय भाषाओं में शिक्षा दे रही है, वह विद्यार्थियों को भाषा के आधार पर नहीं बल्कि उनकी योग्यता और प्रतिभा के आधार पर विश्लेषण कर उनके साथ वास्तविक न्याय कर रही है जो सामाजिक न्याय की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। अखिल भारतीय शिक्षा समागम के महत्व का जिक्र करते हुए श्री मोदी ने कहा कि शिक्षा के लिए संवाद आवश्यक है और संवाद और चर्चा की विरासत को यह शिक्षा समागम आगे बढ़ा रहा है।
नई शिक्षा नीति के तीन साल पूरे होने पर श्री मोदी ने शिक्षकों और स्कूलों की भूमिका की सराहना की और कहा कि पिछले तीन वर्षों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को उन्होंने मिशन मोड में लागू किया है। श्री मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति एकरूपता लाएगी और जल्द ही राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचे को लागू किया जाएगा। देशभर के सभी केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड-सीबीएसई स्कूलों में एक जैसा पाठ्यक्रम होगा और 22 भारतीय भाषाओं में किताबें प्रकाशित की जा रही हैं। कार्यक्रम के दौरान श्री नरेंद्र मोदी ने छह हजार सात सौ सात स्कूलों के लिए पीएम श्री योजना के अंतर्गत छह सौ तीस करोड़ की पहली किस्त जारी की। प्रधानमंत्री ने देश की विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित पाठ्य पुस्तकों का भी लोकार्पण किया।
समागम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था को लेकर हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का सपना प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय शिक्षा नीति से पूरा हो रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति समावेशी है और भारतीय संस्कृति को मान्यता देती है। प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर, युवाओं को तैयार करने और उन्हें अमृत काल में देश का नेतृत्व करने के लिए तैयार करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय शिक्षा नीति शुरू की गई थी।