नई दिल्ली २६ अप्रैल: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज नई दिल्ली में मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात की सौवीं कड़ी पूरी होने के सिलसिले में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस महीने की 30 तारीख को इस कार्यक्रम की सौवीं कड़ी प्रसारित होगी। मन की बात@100 राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोगों की भावनाएं समझते हैं और उन्होंने मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से आम नागरिकों की उपलब्धियों को उजागर किया है। श्री ठाकुर ने कहा कि यही कारण है कि प्रधानमंत्री विश्व के सर्वाधिक प्रमुख नेताओं में एक हैं। उन्होंने कहा कि लोग उत्सुकता से मन की बात कार्यक्रम की सौवीं कड़ी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि मन की बात कार्यक्रम को लेकर हुए श्रोता सर्वेक्षण से यह बात सामने आई है कि एक सौ करोड़ से भी अधिक लोगों ने इसे कम से कम एक बार सुना है।
सूचना और प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्र ने कहा कि मन की बात कार्यक्रम आकाशवाणी के इतिहास में सर्वाधिक लोकप्रिय कार्यक्रम बन गया है। उन्होंने कहा कि 23 करोड़ लोगों ने इस कार्यक्रम को नियमित रूप से सुना या देखा है।
हमारे मुंबई संवाददाता ने बताया है कि महाराष्ट्र के उन सात लोगों को भी राष्ट्रीय सम्मेलन में आमंत्रित किया गया है जिनका मन की बात के विभिन्न कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया था। इनमें चन्द्रकांत दामोदर कुलकर्णी, बंडु सीताराम धोत्रे, सोनाली हेलवी, राजेन्द्र यादव, डॉ. बोरसे, चन्द्रकिशोर पाटील और शर्मिला ओसवाल शामिल हैं। चन्द्रकांत कुलकर्णी ने अपनी 16 हजार रुपये मासिक पेंशन में से पांच हजार रुपये प्रति माह स्वच्छता अभियान के लिए दान देने का वचन दिया है। चन्द्रपुर के बंडु सीताराम धोत्रे पर्यावरण संरक्षण से जुडे एक गैर-सरकारी संगठन के अध्यक्ष हैं, जिन्होंने चन्द्रपुर किले के आस-पास स्वच्छता अभियान शुरू किया। सतारा की सोनाली हेलवी, महाराष्ट्र की 21 वर्ष से कम आयु की महिला कबड्डी टीम की कप्तान हैं। राजेन्द्र यादव नाशिक के एक नवाचारी किसान हैं, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान अपने ट्रैक्टर पर टीका केन्द्र बनाया था। पुणे के डॉ. बोरसे कोविड योद्धा हैं। चन्द्रकांत पाटील ने नाशिक में गोदावरी नदी की सफाई में उल्लेखनीय प्रयास किए, जिसका उल्लेख प्रधानमंत्री ने भी किया। केनाडा के पास अलीबाग की निवासी शर्मिला ओसवाल पिछले बीस वर्षों से अनूठे ढंग से मोटे अनाजों के उत्पादन में योगदान कर रही हैं और उन्हें श्रीअन्न महिला के रूप में जाना जाता है।