नई दिल्ली ०९ अप्रैल : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि प्रकृति का संरक्षण हमारी संस्कृति का हिस्सा है और वन्य जीव तथा पर्यावरण संरक्षण के अच्छे परिणाम दिख रहे हैं। आज मैसूरु में बाघ परियोजना के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर उन्होंने कहा कि देश के कई समुदायों में प्रकृति और बाघों के संरक्षण की संस्कृति है। श्री मोदी ने कहा कि देश में 75 वर्ष के अंतराल के बाद चीते का जन्म होना इस बात का प्रमाण है कि देश में जैव-विवधिता बढ़ रही है। आज एशियाई हाथियों, एक सिंह वाले गैंडे, चीते, तेंदुए और बाघ की सबसे अधिक संख्या भारत में है। देश का वन-क्षेत्र भी बढ़कर दो हजार दो सौ बीस वर्ग किलोमीटर हो गया है और पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों की संख्या बढ़कर चार सौ छियासी हो गई है।
प्रधानमंत्री ने मैसूरु में आयोजित कार्यक्रम में, देश में बाघों की स्थिति से संबंधित एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के अनुसार, देश में बाघों की संख्या बढ़कर तीन हजार एक सौ सड़सठ हो गई है जो 2018 में दो हजार नौ सौ सड़सठ थी। श्री मोदी ने शिकारियों से बाघों के संरक्षण के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन की शुरूआत की और बाघ परियोजना पर एक स्मारक-सिक्का भी जारी किया। गठबंधन से कई देशों में बाघ, शेर, तेंदुएं और चीते और इस प्रजाति के अन्य जीवों की संख्या बढ़ने में मदद मिलेगी और प्रशिक्षण, अनुसंधान तथा सर्वोत्तम कार्यशैली के आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा।
इससे पहले, प्रधानमंत्री ने कर्नाटक और तमिलनाडु में बंडीपुर, तेप्पाकडु और मडुमलई बाघ अभयारण्यों का दौरा किया। उन्होंने हाथी कैम्प कार्यबल के सदस्यों से बातचीत की और ऑस्कर विजेता वृत्तचित्र द एलिफेंट व्हिस्परर्स में काम कर चुके वनकर्मी दंपत्ति बोम्मा और बेल्ली से भी मुलाकात की। श्री मोदी ने वन्य जीवों का शिकार और उनके अंगों की तस्करी रोकने संबंधी उपायों का जायजा भी लिया।