नई दिल्ली २६ मार्च : सरकार ने नागालैंड, असम और मणिपुर में सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून के तहत कई इलाकों को संवेदनशील क्षेत्रों की सूची से बाहर करने का निर्णय लिया है। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि यह फैसला पूर्वोत्तर में सुरक्षा स्थिति में सुधार को देखते हुए लिया गया है।गृह मंत्रालय के अनुसार, 2014 के मुकाबले 2022 में उग्रवाद के मामले 76 प्रतिशत कम हुए हैं। सुरक्षाकर्मियों के शहीद होने के मामलों में भी 90 प्रतिशत की कमी आई है। इस अवधि में उग्रवाद के कारण आम लोगों के मारे जाने की घटनाएं भी 97 प्रतिशत कम हुई हैं। केन्द्र ने पिछले वर्ष अप्रैल में इस कानून के तहत नागालैंड, असम और मणिपुर में अशांत क्षेत्रों की संख्या को कम किया था। कल एक और महत्वपूर्ण फैसले में, इस वर्ष एक अप्रैल से इन राज्यों में संवेदनशील इलाकों की संख्या को और कम करने का निर्णय लिया।
गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में, पिछले चार वर्ष में पूर्वोत्तर राज्यों में कई शांति समझौतों पर अमल किया गया है जिससे अधिकतर उग्रवादी गुट हथियार डालकर पूर्वोत्तर की शांति और विकास प्रक्रिया में शामिल हो गए हैं। वर्ष 2014 से अब तक लगभग सात हजार विद्रोही आत्मसमर्पण कर चुके हैं। पिछले चार वर्ष के दौरान गृह मंत्रालय ने कई ऐतिहासिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं जिनसे पूर्वोत्तर की दशकों पुरानी समस्या का समाधान हुआ है। इनमें जनवरी 2020 का बोडो समझौता और सितम्बर 2021 का कार्बी-आंगलौंग समझौता प्रमुख हैं।