नई दिल्ली १६ दिसंबर: विदेश मंत्री डॉक्टर सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने कहा है कि न्यूयॉर्क और मुम्बई आतंकी हमले जैसी घटनाएं दोबारा घटित नहीं होने दी जा सकती। कल रात संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को आतंकवाद से खतरा विषय पर उन्होंने कहा कि विश्व को राजनीतिक मतभेदों से उबरकर आतंकवाद को कतई बर्दाश्त न करने की प्रतिबद्धता दर्शानी होगी। श्री जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद की रोकथाम के लिये जवाबदेही सुनिश्चित किया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश को आतंकवाद से राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास नहीं करना चाहिए। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत आतंकवाद से निपटने के एजेंडे को फिर से नई ऊर्जा देने के लिये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षापरिषद के माध्यम से हमेशा प्रयास करता रहा है। उन्होंने कहा कि आज आतंकवाद का खतरा पहले से अधिक बढ़ गया है। अलकायदा, डा-एश, बोको हराम, अल शवाब और सहयोगी संगठनों के प्रसार का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया को कट्टरवाद और पूर्वाग्रह के ऑनलाइन प्रचार के संकट का भी सामना करना पड़ रहा है।
विदेश मंत्री ने कहा कि सुरक्षा परिषद के भीतर और बाहर दोहरे मानदंड से निपटना भी एक चुनौती है। उन्होंने इस रवैये को खतरनाक बताया। विदेश मंत्री ने कहा कि आज दुनिया चार चुनौतियों का सामना कर रही है। आतंकवाद के लिए वित्त मुहैया कराया जाना पहली चुनौती है। आतंकवाद की रोकथाम के बहुपक्षीय तंत्रों में एकीकरण और जवाबदेही सुनिश्चित करना दूसरी, दोहरे मानदंड से निपटना तीसरी चुनौती और आंतकवादियों द्वारा उभरती प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग रोकना चौथी चुनौती है।
डॉक्टर जयशंकर ने कहा कि भारत बहुत लंबे समय से आंतकवाद का सामना करता आ रहा है और इसे कतई बर्दाश्त न करने की नीति के साथ बहादुरी से इसका मुकाबला किया है।
विदेश मंत्री ने इस आयोजन से अलग आयरलैंड के विदेश मंत्री से भी मुलाकात की। लेबनान में आयरिश शांति रक्षक की मृत्यु और तीन अन्य के घायल होने पर संवेदना प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि भारत और आयरलैंड विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग जारी रखेंगे।
डॉक्टर जयशंकर ने अमरीका की राजनीतिक मामलों की विदेश उपमंत्री विक्टोरिया न्यूलैंड से भी मुलाकात की। द्विपक्षीय बातचीत में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित विभिन्न मंचों पर दोनों देशों के बीच मजबूत सहयोग को रेखांकित किया।