नई दिल्ली, 26 नवंबर (हि.स.)। प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. विक्रम संपत की पुस्तक “ब्रेवहार्ट्स ऑफ भारतः विग्नेट्स फ्रॉम इंडियन हिस्ट्री” का शनिवार को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के ‘समवेत’ सभागार में लोकार्पण हुआ।
पुस्तक का लोकार्पण मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर, विशिष्ट अतिथि विनय सहस्रबुद्धे (पूर्व राज्यसभा सांसद एवं भारतीय सांस्कृतिक सम्बंध परिषद् के अध्यक्ष), इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी, पुस्तक के लेखक विक्रम संपत, ‘पद्मश्री’ से सम्मानित इतिहासकार मीनाक्षी जैन, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद् के सदस्य संजीव सान्याल और वैज्ञानिक, लेखक व स्तंभकार आनंद रंगनाथ की उपस्थिति में हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजीव चंद्रशेखर ने लोकार्पण के अवसर पर कहा कि हम ऐसे समय में पढ़े और बड़े हुए हैं, जहां हमें बताया गया कि हमारे यहां नायकों का अभाव है। अगर कुछ नायक हैं भी, तो वे किसी खास वंश या परम्परा से रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह पुस्तक हमारे इतिहास के नायकों के बारे में बताते हुए भारतीय इतिहास के गौरव को सामने लाने का काम करती है।
डॉ. विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि यह वास्तव में ऐसी पुस्तक है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसे पढ़ते समय बीच में छोड़ा नहीं जा सकता। यह ऐसी पुस्तक है, जो आपको इतिहास के बारे में सोचने के लिए उकसाती है।”
डॉ. जोशी ने पुस्तक के बारे में बात करते हुए कहा कि पुस्तक का शीर्षक, “ब्रेवहार्ट्स ऑफ भारतः विग्नेट्स फ्रॉम इंडियन हिस्ट्री” अपने आप में एक सशक्त कथन है, क्योंकि शीर्षक में ‘भारत’ लिखा गया है न कि ‘इंडिया’। उन्होंने दोहराया कि इतिहास का अपना महत्व है और इतिहास को फिर से देखने और फिर से लिखने की आवश्यकता है।
डॉ. विक्रम संपत ने कहा कि नायकों को चुनते समय उनके सामने समस्या यह थी कि किसे चुनें और किसे छोड़ें। उन्होंने यह भी कहा कि पराजित राष्ट्र के नैरेटिव को चुनौती देने की जरूरत है और उन्होंने इस पुस्तक के लेखन के माध्यम से ऐसा करने का प्रयास किया है। उन्होंने यह भी कहा कि यह अंधराष्ट्रवाद नहीं है, बल्कि सच्चे और वास्तविक लोगों की कहानी है।