नई दिल्ली, 26 नवम्बर (हि.स.)। सर्वेक्षण पोत (लार्ज) परियोजना का तीसरा जहाज ‘इक्षक’ शनिवार को बंगाल की खाड़ी में उतार दिया गया। नौसेना की समुद्री परंपरा के तहत दक्षिणी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ वाइस एडमिरल एमए हम्पिहोली की पत्नी मधुमती हम्पिहोली ने अथर्ववेद के मंत्रोच्चारण के साथ जहाज को कट्टुपल्ली, चेन्नई में लॉन्च किया। समुद्र में मेरिनर्स के लिए सुरक्षित मार्ग की सुविधा के लिए सर्वेक्षण जहाजों के योगदान को दर्शाने के लिए जहाज का नाम ‘इक्षक’ रखा गया है जिसका अर्थ है- गाइड।
भारतीय नौसेना के लिए गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) और लार्सन एंड टूब्रो संयुक्त रूप से चार सर्वे वेसल्स (लार्ज) बना रहे हैं। एसवीएल प्रोजेक्ट में से तीसरा जहाज ‘इक्षक’ आज कट्टुपल्ली, चेन्नई में लॉन्च किया गया।
रक्षा मंत्रालय और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता के बीच 30 अक्टूबर, 18 को कुल 2435 करोड़ रुपये की लागत से चार एसवीएल जहाजों के निर्माण के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। पहला जहाज जीआरएसई, कोलकाता में बनाया जा रहा है और शेष तीन जहाजों का निर्माण (आउटफिटिंग चरण तक) मैसर्स एलएंडटी शिपबिल्डिंग, कट्टुपल्ली को उप-अनुबंधित किया गया है। क्लास शिप ‘संध्याक’ का पहला जहाज 05 दिसंबर, 21 को जीआरएसई, कोलकाता में लॉन्च किया गया था। एसवीएल जहाज समुद्र संबंधी डेटा एकत्र करने के लिए मौजूदा ‘संध्याक’ वर्ग के सर्वेक्षण जहाजों को नई पीढ़ी के हाइड्रोग्राफिक उपकरणों से बदल देंगे।
जीआरएसई के अनुसार सर्वेक्षण पोत (लार्ज) जहाज 110 मीटर लंबे, 16 मीटर चौड़े और 3400 टन के हैं और इन पर एक साथ 231 नौसैनिक सवार हो सकते हैं। जहाज की प्रणोदन प्रणाली में जुड़वां शाफ्ट विन्यास में दो मुख्य इंजन हैं और इसे 14 समुद्री मील की क्रूज गति और 18 समुद्री मील की अधिकतम गति के साथ डिजाइन किया गया है। बो एंड स्टर्न थ्रस्टर्स को उथले जल सर्वेक्षण संचालन के दौरान आवश्यक कम गति पर बेहतर संचालन के लिए तैयार किया गया है। इन जहाजों की पतवार स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड में स्वदेशी रूप से विकसित डीएमआर 249-ए स्टील से बनाई गई है।
जहाजों की प्राथमिक भूमिका बंदरगाहों और नौवहन चैनलों के पूर्ण पैमाने पर तटीय और गहरे पानी के हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करने की होगी। जहाजों को रक्षा के साथ-साथ नागरिक अनुप्रयोगों के लिए समुद्र विज्ञान और भूभौतिकीय डेटा एकत्र करने के लिए भी तैनात किया जाएगा। आपात स्थिति के दौरान जहाजों का इस्तेमाल अस्पताल के रूप में भी किया जा सकता है। इन्हें चार सर्वे मोटर बोट और एक अभिन्न हेलिकॉप्टर ले जाने की क्षमता के साथ विकसित किया गया है। बड़े सर्वेक्षण पोतों में 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री होगी। सारे समुद्री परीक्षण के बाद जहाज को अक्टूबर, 2023 तक नौसेना को सौंपने का लक्ष्य रखा गया है।