नई दिल्ली/गुवाहाटी, 23 नवंबर (हि.स.)। लाचित बरफुकन की 400वीं जयंती समारोह के तहत बुधवार को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में “द आहोम सागा ऑफ होप स्किल्स एंड करेज” पर पैनल चर्चा आयोजित की गई। असम सरकार की पहल पर सप्ताह भर चलने वाले राज्यस्तरीय लाचित बरफुकन जयंती मनायी जा रही है। वहीं, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी बुधवार से तीन दिवसीय कार्यक्रमों के साथ लाचित बरफुकन की जयंती मनायी जा रही है।
चर्चा के संचालक असम के सेवानिवृत्त मुख्य सचिव जिष्णु बरुवा थे, जबकि पैनलिस्ट असम के राज्य सूचना आयुक्त डॉ. समुद्र गुप्ता कश्यप, डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. चंदन कुमार शर्मा, शिक्षाविद कुलदीप पटवारी, पूर्व डीजी असम प्रकाश सिंह, भारतीय सेना के पूर्वी कमान के जीओसी इन सी लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता और जेएनयू के प्रो वाइस चांसलर प्रो. कपिल कपूर थे। वक्ताओं ने आहोम लोगों के सैन्य कौशल और असम, भारत और पूरे दक्षिण पूर्व एशिया के इतिहास में उनके महत्व के विशेष संदर्भ में उनके सामाजिक-आर्थिक महत्व पर विस्तार से बात की।
इस अवसर पर प्रकाश सिंह ने उस विरासत पर जोर दिया जो लाचित बरफुकन को अपने राजनीतिक पूर्वजों से विरासत में मिली थी, जिसने आहोम सेनापति की देशभक्ति, राजनीति और वीरता की इमारत बनाई। उन्होंने मुगल दरबारी इतिहासकारों से प्राप्त लाचित बरफुकन की प्रशंसा का भी उल्लेख किया। अस्सी के दशक के अंत में असम में सेवा करने वाले सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी ने भी भारत के इतिहास में लाचित बरफुकन को उनका उचित स्थान देने की पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत के अन्य राज्यों के अधिकांश दिग्गज नायक अभी भी अपने उचित पहचान की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
डॉ. चंदन शर्मा ने विभिन्न पांडुलिपियों का उल्लेख करते हुए कहा कि पुरानी किताबें इस बात को रेखांकित करती हैं कि लाचित बरफुकन के मूल्यों, आदर्शों और लोकाचार को संजोना राज्य के सामाजिक-राजनीतिक जीवन की विरासत रही है। अपनी बातों को पुष्ट करने के लिए उन्होंने उल्लेख किया कि स्वतंत्रता आंदोलन सहित संकट की अवधि के दौरान लाचित का नाम और स्मरण कैसे असमिया लोगों के जनमत को एकजुट और एकीकृत करता है।
लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता ने लाचित बरफुकन के युद्ध कौशल की वर्तमान संदर्भ में प्रासंगिकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “एक सफल सैन्य जनरल अपने पास उपलब्ध स्थलाकृति और मौसम का लाभ उठाना जानता है। लाचित बरफुकन ने सरायघाट के नौसैनिक युद्ध में इसे सफलतापूर्वक किया।”
इस अवसर पर आयोजित प्रदर्शनी का उद्घाटन केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया। वर्ष 2022 में वीर लाचित बरफुकन की 400वीं जयंती मनायी जा रही है और असम सरकार ने इसे एक साल तक चलने वाले कार्यक्रमों के साथ मनाने का फैसला किया है।
समारोह का औपचारिक उद्घाटन 25 फरवरी, 2022 को राष्ट्रपति द्वारा किया गया था। इस उत्सव का एक प्रमुख उद्देश्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 17वीं शताब्दी के आहोम जनरल के जीवन व कार्यों से अवगत कराना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मुख्य अतिथि के रूप में समापन समारोह की शोभा बढ़ाएंगे।