नई दिल्ली, 21 नवंबर (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क (एनसीआरएफ) हमें ज्ञान और कौशल के लागू पहलुओं को पहचानने का अवसर प्रदान करेगा। यह आजीवन सीखने और कौशल के लिए नई संभावनाएं भी पैदा करेगा।
केंद्रीय मंत्री प्रधान ने आज भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में ड्राफ्ट नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (एनसीआरएफ) पर हितधारकों के परामर्श में भाग लिया। इस अवसर पर प्रधान ने कहा कि एनईपी 2020 ज्ञान, कौशल और रोजगार के बीच की बाधाओं को दूर करने के लिए क्रेडिट ढांचे के सार्वभौमिकरण की परिकल्पना करता है, सीखने और कौशल के बीच निर्बाध गतिशीलता सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रकार की शिक्षा के लिए एक क्रेडिट संचय और हस्तांतरण प्रणाली की स्थापना करता है।
उन्होंने आगे कहा कि जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाने के लिए हमें एक समान अवसर और सभी को समान अवसर प्रदान करने होंगे। यह केवल सभी प्रकार के पारंपरिक, अपरंपरागत और अनुभवात्मक ज्ञान भंडारों को पहचानने, लेखांकन और औपचारिक रूप से प्राप्त किया जा सकता है।
मंत्री ने कहा कि एनसीआरएफ हमें ज्ञान और कौशल के लागू पहलुओं को पहचानने का अवसर प्रदान करेगा। यह आजीवन सीखने और कौशल के लिए नई संभावनाएं भी पैदा करेगा। उन्होंने आगे कहा कि एनसीआरएफ प्रति व्यक्ति उत्पादकता को बढ़ावा देगा, सभी को सशक्त करेगा और इस शताब्दी का नेतृत्व करने के लिए भारत के लिए एक मजबूत नींव रखेगा।
प्रधान ने रेखांकित किया कि राष्ट्रीय ऋण ढांचा शिक्षा की आर्थिक परिवर्तनीयता को बढ़ाने, हमारी आबादी के एक बड़े हिस्से को औपचारिक शिक्षा और कौशल के दायरे में लाने, जीईआर लक्ष्यों को प्राप्त करने और 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में भारत की गति को तेज करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
इस अवसर पर एनसीवीईटी इंडिया के अध्यक्ष डॉ. एनएस कलसी, आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर रंगन बनर्जी, शिक्षा मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव राकेश रंजन के अलावा शिक्षाविद और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।