हरिद्वार, 8 नवंबर (हि.स.)। कार्तिक पूर्णिमा पर धर्मनगरी हरिद्वार में आज गंगा स्नान के लिए सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़ पड़े। अल सुबह से आरम्भ हुआ स्नान का सिलसिला दिन भर अनवरत चलता रहा।
हालांकि ग्रहण काल के दौरान स्नानार्थियों की संख्या में कुछ कमी आई। हरकी पैड़ी ब्रह्म कुण्ड समेत गंगा के तमाम घाटों पर स्नान करने वालों की काफी भीड़ रही। लाखों की संख्या में आए श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी समेत विभिन्न घाटों पर गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। स्नान पर्व को देखते हुए पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। समूचे मेला क्षेत्र को 9 जोन व 33 सेक्टरों में बांटा गया था।
मान्यता है कि आज के दिन गंगा में स्नान करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है और पापों से मुक्ति मिलती है। स्नान के मद्देनजर पुलिस-प्रशासन की ओर से सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। करीब डेढ़ हजार पुलिस बल मेले में लोगों की सुरक्षा के लिए लगाया गया।
ठंड के बावजूद बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया। लोगों ने स्नान के पश्चात दान आदि कर्म किए। चन्द्र ग्रहण का सूतक काल प्रातः 8 बजकर 20 मिनट से आरम्भ होने के कारण सभी मंदिरों के कपाट सूतक लगने के साथ बंद कर दिए गए। सांयकाल ग्रहण के मोक्ष के बाद ही मंदिरों के कपाट खुले और आरती आदि देव कर्म किए गए। ग्रहण काल समाप्त होने के बाद एक बार फिर से गंगा घाटों पर स्नान करने वालों की संख्या में इजाफा देखा गया।
ज्योतिषियों की मानें तो आज के दिन गंगा स्नान करने से पापों का नाश होता है। आज ही के दिन सिखों के धर्म गुरु गुरुनानक देव का प्रकाश उत्सव भी मनाया जाता है। मान्यता है कि आज ही के दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था।
मान्यता है कि साल भर के बारह महीनों में कार्तिक मास को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन से पूर्णिमा तक के पांच दिनों का खासा महत्व है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु शयन से बाहर आते हैं और इस दिन को देवोत्थान एकादशी कहा जाता है। इन पांच दिनों तक व्रत रखकर गंगा स्नान करना चाहिए। पुराणों में भी कहा गया है कि जो व्यक्ति पूरे साल भर गंगा स्नान नहीं कर पाता है, वह कार्तिक की पूर्णिमा को केवल एक दिन भी गंगा में स्नान कर ले तो उसे पूरे साल भर के गंगा स्नान के बराबर पुण्य फल प्राप्त होता है।