हमारे पर्व-त्योहारों को हतोत्साहित करने वाले व्यक्ति या विचार को हमें रोकना होगा : आंबेकर

नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने शनिवार को कहा कि तमाम विभिन्नता के बावजूद भारत एक है और हमारे पर्व और त्योहार हमें एकजुट रखने में महती भूमिका निभाते हैं। भारत के पर्व और त्योहार समूचे समाज और देश को एकजुट बनाये हुए हैं।

उन्होंने कहा कि हमारी एकता-एकात्मता की यात्रा पर्वों और त्योहारों के माध्यम से सतत जारी है और आगे भी मजबूती के साथ बढ़ती रहेगी। इसीलिए अगर कोई भी व्यक्ति या विचार हमारे पर्व-त्यौहार को हतोत्साहित करने का प्रयास करता है तो हमें उसे रोकना होगा। ऐसे व्यक्ति और विचार हमारे आज और उसके भविष्य के लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं।

हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय ‘दीपोत्सव:पंच प्रण’ कार्यक्रम के अंतिम दिन बतौर विशिष्ट अतिथि सुनील आंबेकर ने ‘एकता-एकात्मता’ विषय पर विचार व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि हमारी एकता को मजबूत रखने के लिए हमें यह भी प्रयास करना होगा कि जो पर्व-त्योहार को मनाने की स्थिति में नहीं हैं, उनको सहयोग दिया जाए। यही एकता-एकात्मता की प्रेरणा और समझ हमें हमारे त्योहारों से मिलती है।

उन्होंने कहा कि भारतीय समाज के मनोमस्तिष्क में स्पष्ट रूप से अंकित है कि हम सबके भीतर एक ही तत्व है। हमारे संत, बुद्धिजीवी भी विभिन्न विचारों के जरिए ये संदेश हमें देते रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि हमारा देश अतीत में भी सहजता से एक रहा है और आने वाले समय में भी यह सतत रहेगा। अगर हम आने वाले समय में भी एकता एकात्मता को मजबूत रखना चाहते हैं तो हमें अपने पर्वों-त्योहारों को हर्ष-उल्लास के साथ एकजुट होकर मनाना चाहिए।

आंबेकर ने कहा कि दुनिया में कई देश, विचार ताकत, धर्म के आधार पर हमें बांटने की कोशिश करते रहे हैं। आक्रमणकारियों ने भी हमारे समाज में फूट डालने के लिए भाषा, जाति और संस्कृति पर चोट की, बावजूद इसके हमारी एकता बरकरार रही। इसमें हमारे त्योहारों का बड़ा योगदान रहा है। इसलिए हमें अपने पर्वों, त्योहारों और संस्कृति को मिटाने के प्रयास करने वालों को रोकना ही होगा।

आंबेकर ने कहा हमें सिर्फ एक बात समझनी है कि बोली, भाषा, जाति, धर्म, पहनावा भिन्न होने के बावजूद हम एक हैं और यही एकता एकात्मता का सूत्र है। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति ही जोड़ने की, एक सूत्र में पिरोने की संस्कृति है। उन्होंने कहा कि हमारी कलाएं भी हमारे पर्व, उत्सव से जुड़ी हुई है।

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