नई दिल्ली, 21 अक्टूबर (हि. स.)। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शुक्रवार को कहा कि भारत अपनी समृद्ध ज्ञान परंपरा के बल पर ही विकसित देशों की श्रेणी में न केवल खड़ा होगा बल्कि सर्वोच्च स्थान हासिल करेगा।
हिन्दुस्थान समाचार न्यूज़ एजेंसी और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘दीपोत्सव : पंच प्रण’ व्याख्यान माला में ‘विकसित भारत’ विषय पर अपने विचार प्रकट करते हुए खान ने कहा कि अनेक सभ्यताएं इस बात का दम्भ भरती हैं कि उन्होंने भारत पर आक्रमण कर और यहां राज कर हमें सभ्य बनाया। सच्चाई यह है कि वे सभ्यताएं जिस समय बर्बर थीं, जीने का रास्ता तलाश रही थीं उस समय भारत भूमि अपनी ज्ञान सम्पदा के दम पर ‘सोने की चिड़िया’ थी।
उन्होंने कहा कि अतीत में भारत ‘सोने की चिड़िया’ इसलिए नहीं था कि अकूत धन संपदा हमारे पास थी, बल्कि हम ज्ञान का केंद्र थे।
राज्यपाल ने स्वामी विवेकानंद, रवींद्र नाथ टैगोर व अन्य मनीषियों का उदाहरण देते हुए कहा कि हम ज्ञान के उपासक रहे, ज्ञान अर्जित करते रहे और उसे दूसरों तक पहुंचाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय दर्शन का मानना है कि जिसने ज्ञान प्राप्त कर लिया, ब्रह्म को प्राप्त कर लिया उसे इस सम्पदा को साझा करने की भूख जग जाती है।
उन्होंने तमाम तर्क और उद्धरण पेश करते हुए कहा की हर किसी के प्रति मित्रता का भाव रखना, ऐसी नजर पैदा करना कि किसी के प्रति नफरत की गुंजाइश ही न रहे, ये हमारी संस्कृति और सभ्यता का मूल है।
उन्होंने इशारों ही इशारों के कहा की कुछ लोग कहते हैं कि उन्होंने भारत पर राज किया और ताज महल, लाल किला दिया, उन्हें यह जानना चाहिए कि अरब में पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बहुत पहले ही कहा था कि भारत भूमि से ज्ञान की ठंडी हवा के झोंके आ रहे हैं। अतीत में यह हमारी ज्ञान, संपदा की देन थी।
आरिफ मोहम्मद खान ने दुनिया भर के तमाम उदाहरण देते हुए कहा कि विश्व के हर विद्वान ने जो दुनिया के इतिहास पर जो कुछ भी लिखा है उसमें सबसे पहले एक बड़ा हिस्सा भारत पर रचा-पढ़ा गया। भारत इकलौता देश है जो ज्ञान और प्रज्ञा के संवर्धन के लिए जाना जाता है।
उन्होंने कहा कि जिस दिन हमें अपने ज्ञान को साझा करना बंद कर दिया, समझ लीजिए कि उसी वक्त हमने अपने पतन के वारंट पर दस्तखत कर दिये।
केरल के राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अगले 25 वर्षों में विकसित भारत की जो परिकल्पना की है, उसके तहत हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों के सपने को तब ही साकार कर सकेंगे जब हर बच्चे के लिए बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य के मुकम्मल इन्तजाम हों। यह तभी सम्भव है जब हम अपनी ज्ञान परम्परा को पुनर्जीवित करें।
आरिफ मोहम्मद ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने ‘पंच प्रण’ की बात कही है, जब हमारा देश 100 साल पूर्ण करे तब तक सभी के लिए उत्तम शिक्षा और स्वास्थ्य उपलब्ध हो, हमें इस दिशा में अपने ज्ञान के बल पर काम करना होगा तभी विकसित भारत की कल्पना साकार हो सकेगी।