नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (हि.स)। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य के सदस्य जयंत आर वर्मा ने सोमवार को बताया कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की महंगाई पर सख्त मौद्रिक नीति का असर 5-6 तिमाहियों के बाद दिखने लगेगा।
उन्होंने बताया कि आरबीआई ने बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए नकदी को सीमित करने की रणनीति बनाई है। रिजर्व बैंक उसी के अनुरूप नीतिगत ब्याज दर में लगातार बढ़ोतरी भी कर रहा है। मौद्रिक नीति पर निर्णय करने वाली आरबीआाई की सर्वोच्च संस्था एमपीसी इस साल चार बार नीतिगत दर में रेपो रेट में कुल 1.90 फीसदी की वृद्धि कर चुकी है, जो 5.90 फीसदी पर पहुंच चुकी है।
सितंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई दर पांच महीने के उच्चतम स्तर 7.41 फीसदी पर पहुंच गई है, जो पिछले महीने में 7 फीसदी थी। खुदरा महंगाई दर लगातार नौवीं बार छह फीसदी से ऊपर रही है। दरअसल आरबीआई को सरकार ने महंगाई दर को दो फीसदी की घट-बढ़ के साथ चार फीसदी तक सीमित रखने के लिए कहा है, लेकिन इस साल जनवरी से ही मुद्रास्फीति लगातार तय दायरे से ऊपर बनी हुई है।