08HNAT39 राजस्थान में अच्छा माहौल, निवेशकों को समस्याएं नहीं आएंगीः अशोक गहलोत
जयपुर, 8 अक्टूबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य में एमएसएमई सेक्टर जितना मजबूत सेक्टर होगा, उतनी ही तेजी से आर्थिक प्रगति होगी। आज देश की जीडीपी में एमएसएमई का 30 प्रतिशत योगदान है। राजस्थान में लगभग 6 लाख से अधिक एमएसएमई उद्योग स्थापित हैं। यहां 1.35 लाख से अधिक निर्यातक हैं। इस सेक्टर में रोजगार की सबसे अधिक संभावनाएं हैं। राज्य सरकार ने इसी सोच के साथ एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए अनेक नीतिगत फैसले लिये हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में एमएसएमई का भविष्य सुरक्षित और उज्ज्वल है।
गहलोत शनिवार को जेईसीसी, सीतापुरा में आयोजित इन्वेस्ट राजस्थान समिट-2022 के तहत एमएसएमई कॉन्क्लेव एवं समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने एमएसएमई कॉन्क्लेव के ‘थिंकिंग बिग, थिंकिंग स्मार्ट’ सत्र में कहा कि समिट से प्रदेश में निवेश का एक नया वातावरण बना है। समिट में इन्वेस्टर्स द्वारा राज्य की नीतियों का खुले मन से तारीफ करना व इन्वेस्टमेंट के लिए ’बेस्ट डेस्टिनेशन’ बताना सफलता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि हम प्रदेश में ऐसा माहौल विकसित कर रहे हैं, जिससे कि हर क्षेत्र में उद्योग स्थापित हो सकें और रोजगार बढ़ सकें। राज्य सरकार हर समय और हर परिस्थिति में निवेशकों के साथ खड़ी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार हर एमओयू और प्रोजेक्ट्स को धरातल पर उतारने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने निवेशकों को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार का हर अधिकारी-कर्मचारी समर्पित होकर निवेशकों की आवश्यकताओं को समयबद्ध तरीके से पूरा कराना सुनिश्चित करेंगे। साथ ही, हमारे द्वारा निवेशकों के उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान कायम करने के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रयास किए जाएंगे।
गहलोत ने कहा कि उद्यमी वहीं निवेश करते है, जहां अच्छा माहौल होता है। हमने सड़क तंत्र को मजबूत बनाया है। औद्योगिक विकास के लिए नीतिगत निर्णयों से ऐसा माहौल विकसित किया है कि निवेशकों को समस्याएं नहीं आएंगी। हैप्पीनेस इंडेक्स में हमारी रैंक और प्रतिव्यक्ति आय बढ़ना प्रदेश की सुख समृद्धि को दर्शाता है।
गहलोत ने कहा कि राज्य में एमएसएमई के महत्व, उसकी जरूरतों और उनकी कठिनाइयों को समझते हुए 2019 में एमएसएमई एक्ट लाया गया, यह वरदान साबित हुआ। वर्ष 2022-23 के बजट में इस अधिनियम के तहत एमएसएमई को सरकार की स्वीकृति, अनुमति, निरीक्षण से 3 वर्ष तक मिलने वाली छूट को बढ़ाकर 5 वर्ष कर दिया है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के दौरान एमएसएमई को जो आर्थिक हानि हुई, उससे राहत दिलाने के लिए अहम फैसले लिये। एमनेस्टी योजना लाकर कई प्रकार की छूट प्रदान की गई। गहलोत ने कहा कि नई एमएसएमई नीति का उद्देश्य स्टेट जीडीपी और निर्यात में एमएसएमई के योगदान को बढ़ाना है। एमएसएमई उद्योगों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की जा रही है, जिससे उत्पादन बढ़ेगा और हम निर्यात की दिशा में और आगे बढ़ेंगे। एमएसएमई पॉलिसी में रिसर्च एंड डेवलपमेंट में सहायता, ई-बाजार की सुविधा, क्लस्टर डेवलपमेंट, सुरक्षा योजना और रिस्क कवरेज का प्रावधान भी किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान में देश का 20 प्रतिशत तेल निकलता है। यहां गैस की भी संभावनाएं है। रिफाइनरी के पास पचपदरा में 383 किलोमीटर क्षेत्र में पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स विकसित किया जा रहा है। हमने केंद्र सरकार को भी प्रस्ताव भेजा है। यहां पर 150 से अधिक एमएसएमई और अन्य उद्योग स्थापित होंगे और युवाओं को रोजगार मिलेगा। ऐसे में पचपदरा निवेश का प्रमुख केंद्र बन रहा है।
उद्योग व वाणिज्य मंत्री शकुंतला रावत ने कहा कि एमएसएमई सेक्टर राज्य की अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग है। यह सामाजिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान निभाता है। राज्य की सकारात्मक एमएसएमई नीति से सभी क्षेत्रों में उद्यम को प्रोत्साहन मिल रहा है। इस समिट में प्रदेश के चहुंमुखी विकास की नींव रखी गई है।
मुख्य सचिव उषा शर्मा ने कहा कि एमएमएमई औद्योगिक विकास की रीढ़ की हड्डी (बैकबॉन) है। यह विकास में अहम भूमिका निभा रहा है। प्रदेश में 6 लाख एमएसएमई इकाइयां हैं, जिनसे 37 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल रहा है। एमएसएमई इकाइयों द्वारा विगत वित्तीय वर्ष में 72 हजार करोड़ रुपये का निर्यात किया गया है। सूक्ष्म, लघु और मंझोले उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में एमएसएमई पॉलिसी-2022 जारी की गई। एमएसएमई उद्योगों के लिए फैसिलिटेशन काउंटर भी खोले हैं।
एमएसएमई कॉन्क्लेव में ‘ग्रोथ स्ट्रेटजी
थिंकिंग बिग थिंकिंग स्मार्ट‘ विषय पर उद्यमियों ने अपने विचार रखे। उन्होंने राज्य में एमएसएमई के विकास के लिए राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना की और अपनी सफलता के बारे में बताया। सत्र का संचालन ग्रैंट थार्नटन भारत एलएलपी के नेशनल सेक्टर लीडर कुणाल सूद ने किया। उन्होंने एमएसएमई के विकास में तकनीक के समावेश से इस क्षेत्र में भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमारे विविधता से भरे घरेलू बाजार के कारण ही विश्व की आर्थिक मंदी से हम काफी हद तक अप्रभावित रहे।
मनु यंत्रालय के प्रबंध निदेशक अभिनव बांठिया ने कहा कि राजस्थान में निवेश के लिए सकारात्मक वातावरण के कारण देश-विदेश की कंपनियां भी यहां अपना बिजनेस शुरू करने के लिए आकर्षित होती हैं। नेशनल इंजीनियरिंग इंडस्ट्रीज लिमिटेड के अध्यक्ष एवं सीईओ रोहित साबू ने कहा कि किसी भी उद्यम की सफलता के लिए नई तकनीक को दोस्त बनाना होगा। उन्होंने कहा कि लॉन्ग टर्म प्लानिंग, डिजिटल मार्केटिंग और ग्लोबल थिंकिंग एमएसएमई के विकास का मूल मंत्र है।
सिडबी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एस. रमन ने ‘फाइनेंसिन टू स्केल अप बिजनेसेज‘ पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि डिजिटल क्रांति से मात्र 48 घंटे में बैंक लोन दे रहे हैं। इससे एमएसएमई और नए स्टार्टअप्स को अभूतपूर्व गति मिली है। क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया आदिल जैनुलभाई ने जीरो इफेक्ट जीरो डिफेक्ट विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि, वो राजस्थान की जीडीपी को निकट भविष्य में एक ट्रिलियन होने की अपेक्षा रखते हैं और यह एमएसएमई के विकास से ही संभव है। पॉन प्योर केमिकल्स के अध्यक्ष एम. पोन्नूस्वामी ने कहा कि बहुत छोटे स्तर से अपना उद्यम शुरू करके भी आप किसी भी ऊंचाई तक अपने व्यवसाय को पहुंचा सकते हैं।