– दोनों देशों की सेनाओं के बीच संपर्क बढ़ाने के नए तरीके तलाशने की होगी कोशिश
– भारत-मिस्र में रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए समझौता ज्ञापन पर होंगे हस्ताक्षर
नई दिल्ली, 18 सितम्बर (हि.स.)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रविवार से मिस्र की दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर होंगे। वह 19-20 सितंबर को यात्रा के दौरान मिस्र के रक्षा उत्पादन मंत्री जनरल मोहम्मद जकी और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। दोनों मंत्री द्विपक्षीय रक्षा संबंधों की समीक्षा करेंगे। भारत और मिस्र के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए जाएंगे।
राजनाथ सिंह की यात्रा का उद्देश्य भारत और मिस्र के बीच रक्षा सहयोग और विशेष मैत्री को और अधिक मजबूत बनाना है। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि मैं 18 सितंबर से मिस्र की 3 दिवसीय यात्रा पर काहिरा में रहूंगा। दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को और मजबूत करने के लिए अपने समकक्ष जनरल मोहम्मद अहमद जकी के साथ चर्चा करने के लिए उत्सुक हूं। इस दौरान मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी से भी मुलाकात होगी। मिस्र-भारत संबंध मिस्र और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंध हैं। अमेरिका, इटली और सऊदी अरब के बाद भारत मिस्र का चौथा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है।
रक्षा क्षेत्र में मिस्र का सहयोग जरूरी है क्योंकि वह पश्चिम एशिया-उत्तरी अफ्रीकी क्षेत्र में एक अहम सैन्य शक्ति है। भारतीय वायु सेना ने जून माह में मिस्र के काहिरा पश्चिम एयरबेस में हुए सामरिक हवाई कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए 57 वायु योद्धाओं के साथ पांच लड़ाकू विमान भेजे थे। इससे पहले अक्टूबर, 2021 में भारत और मिस्र की वायु सेनाओं ने संयुक्त रूप से वायु अभ्यास ‘डेजर्ट वारियर’ किया था जो दोनों देशों के बीच पहला वायु सैनिक अभ्यास था। इस यात्रा के दौरान सेना से सेना के संबंधों की नई शुरुआत करने के साथ ही दोनों देशों के रक्षा उद्योगों के बीच सहयोग को मजबूत करने पर भी चर्चा होगी।
इसी साल जून माह में मिस्र के वायुसेना कमांडर लेफ्टिनेंट-जनरल मोहम्मद अब्बास हेलमी हाशेम ने भारत का दौरा किया था। हाल ही में भारत और मिस्र के राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ पर मिस्र ने डाक टिकट भी जारी किया है। भारत और मिस्र खासकर रक्षा क्षेत्र में धीमे-धीमे द्विपक्षीय संबंध मजबूत कर रहे हैं। भारत में बना हल्का लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस कई देशों की पहली पसंद बनता जा रहा है। मलेशिया के बाद अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, इंडोनेशिया और फिलीपींस के साथ मिस्र ने भी तेजस को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है।
स्वेज नहर की वजह से भी मिस्र के साथ संबंध बनाना महत्वपूर्ण है क्योंकि इस नहर के जरिए भारतीय माल हिंद महासागर से भूमध्य सागर पहुंचता है। पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका के देशों के साथ चीन के बढ़ते संबंधों को देखते हुए मिस्र के साथ भारत के संबंध महत्वपूर्ण हैं।वर्तमान में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार का मूल्य 3.8 बिलियन डॉलर है जिसमें भारत को मिस्र के निर्यात में 63 फीसद की वृद्धि हुई है। भारत मिस्र के उत्पादों का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य बन गया है। काहिरा में भारत का दूतावास मिस्र में भारत गणराज्य का राजनयिक मिशन है।
मिस्र में भारतीय राजदूत अजीत गुप्ते के अनुसार 2021 में मिस्र और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 7.26 अरब अमेरिकी डॉलर के ऐतिहासिक रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंचने से 80 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इस वर्ष रिकॉर्ड उच्च स्तर तक पहुंचने की संभावना है। इस दौरान मिस्र के लिए भारत तीसरे सबसे बड़े निर्यात बाजार के रूप में भी उभरा है।