जयपुर, 10 सितंबर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अजय रस्तोगी ने केसेज की पैंडेंसी को चुनौती मानते हुए कहा है कि निचली कोर्ट को मामलों में डिस्पोजल की बजाय डिसीजन करना चाहिए। कोर्ट का सही डिसीजन होगा तो उसकी अपीलें भी कम होंगी। उन्होंने कहा कि 1982 में वे अधिवक्ता बने तब भी पैंडेंसी को लेकर चर्चा होती थी। करीब 40 साल बाद जब सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश हैं तब भी पेंडेंसी को लेकर चर्चा हो रही है लेकिन हमें केवल समस्याओं व चुनौतियों पर चर्चा करने के साथ ही समाधान पर भी बात करनी चाहिए। हमें पेंडेंसी खत्म करने के लिए डिस्पोजल की बजाय केसेज में डिसीजन करने होंगे।
जस्टिस रस्तोगी ने यह विचार शनिवार को सांगानेर न्यायालय के रजत जयंती समारोह में वर्तमान न्याय व्यवस्था चुनौतियां व समाधान विषयक सेमीनार में रखे। उन्होंने कहा कि आज हम रजत जयंती समारोह मना रहे हैं और कुछ साल बाद स्वर्ण जयंती भी मनाएंगे, लेकिन उस दिन हमारा रोड मैप क्या रहेगा यह सोचना भी बेहद जरूरी है।
हाई कोर्ट के एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव ने कहा कि कोर्ट में जितने केसेज पेंडिंग हैं उनमें से 60 फीसदी साधारण प्रकृति के हैं। इन केसेज को आपसी समझाइश व मध्यस्थता सहित अन्य वैकल्पिक तरीकों से हल किया जा सकता है, सभी को मिलकर इस दिशा में काम करना होगा। कार्यक्रम में हाई कोर्ट के जस्टिस सुदेश बंसल, अनूप ढंड, उमाशंकर व्यास सहित अन्य न्यायिक अधिकारी व प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हुए।