इस्लामाबाद, 10 सितंबर (हि.स.)। पाकिस्तान में बाढ़ का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। हालात ये हैं कि एक तिहाई पाकिस्तान जलमग्न हो गया है। 12 लाख से अधिक गर्भवती महिलाएं राहत शिविरों में हैं और उनके सामने सुरक्षित प्रसव का संकट पैदा हो गया है।
पाकिस्तान में जबर्दस्त बाढ़ ने साढ़े तीन करोड़ लोगों को प्रभावित किया है। अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी बाढ़ के दुष्प्रभावों के लेकर सावधान किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अस्थाई राहत शिविरों में रह रही 12 लाख से अधिक गर्भवती महिलाओं को लेकर सर्वाधिक चिंता जताई है। ऐसे में इन महिलाओं के सामने सुरक्षित प्रसव का संकट उत्पन्न हो गया है। इन 12 लाख गर्भवती महिलाओं में से करीब 70 हजार महिलाओं का प्रसव एक माह के भीतर होना है। राहत शिविरों में स्वास्थ्य सहायता पहुंचने में हो रहे संकट के चलते इन महिलाओं को किसी चिकित्सकीय सहायता के बिना ही बच्चों को जन्म देना होगा।
पाकिस्तान में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉ. पलिता गुणरत्ना महिपाल ने बताया कि बाढ़ के कारण करीब 10 प्रतिशत स्वास्थ्य संस्थान तहस-नहस हो चुके हैं। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में तो पूरा स्वास्थ्य तंत्र ध्वस्त हो चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट में उन पाकिस्तानी बच्चों की जान को खतरा बताया है, जिन्होंने बाढ़ के समय जन्म लिया है। दरअसल, बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोगों को राहत शिविरों में रखा गया है लेकिन वहां पर्याप्त चिकित्सीय व्यवस्थाएं न होने के कारण उनकी जान पर भी बन आई है।