गुवाहाटी, 05 सितम्बर (हि.स.)। “छात्रों के भविष्य को आकार देने के साथ-साथ उनके चरित्र निर्माण में शिक्षक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।” असम के राज्यपाल प्रो. जगदीश मुखी ने सोमवार को यहां नूनमती में असम जातीय विद्यालय के अपने दौरे पर उपरोक्त बातें कही।
शिक्षक दिवस पर छात्रों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा, “शिक्षक दिवस हमारे शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता दिखाने के लिए मनाया जाता है। राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों का योगदान सराहनीय है। गुरु और शिष्य के लिए आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। गुरु-शिष्य परंपरा भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण और पवित्र हिस्सा है। हर इंसान के जीवन में गुरु का एक विशेष स्थान होता है। इंसान को सच्चा इंसान बनाने वाले गुरु ही होते हैं। एक बच्चे के व्यक्तित्व का निर्माण एक बहुत ही विशाल और कठिन कार्य है जिसकी देखभाल केवल एक गुरु करते हैं।”
प्रो. मुखी ने कहा, “एक आदर्श शिक्षक का समाज में एक विशेष स्थान होता है। हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जिनका जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है, एक महान दार्शनिक और एक आदर्श शिक्षक भी थे। अध्यापन से उनका गहरा लगाव था। उनमें एक आदर्श शिक्षक के सभी गुण थे।”
राज्यपाल ने कहा कि यह खुशी की बात है कि “नई शिक्षा नीति” के तहत स्कूली शिक्षा से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक की शिक्षा प्रणाली में व्यापक बदलाव किए गए हैं। लोगों के सहयोग और समर्थन से “नई शिक्षा नीति” को पूरी तरह से लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि असम जातीय विद्यालय भी नई शिक्षा नीति को अपनाने में सक्षम होगा और अपने बच्चों को “संसाधनपूर्ण नागरिक” बनाने की दिशा में हमेशा प्रयास करेगा।
राज्यपाल ने शिक्षकों को उनकी अपार भूमिका के लिए धन्यवाद दिया जो आने वाली पीढ़ियों को आकार देने में मदद करते हैं और उनसे समाज को नए उत्साह और ऊर्जा के साथ ज्ञान के प्रकाश से रोशन करने का भी आग्रह किया।
इस अवसर पर अतिथि के रूप में उपस्थित प्रख्यात शिक्षाविद् डॉ. तारकेश्वर चौधरी ने भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम में असम जातीय विद्यालय के सचिव डॉ. नारायण शर्मा, एजेबी के अध्यक्ष दिलीप कुमार चौधरी, एजेबी के प्रधानाचार्य घनश्याम मेधी, शिक्षक और छात्र भी काफी संख्या में उपस्थित थे।