उच्‍चतम न्‍यायालय ने कहा- मुफ्त सेवाएं और सुविधाएं राज्यों को दिवालियेपन की तरफ ले जा सकती हैं, मामला तीन न्‍यायाधीशों की पीठ को सौंपा

नई दिल्ली, 27 अगस्त : उच्‍चतम न्‍यायाल ने महसूस किया है कि राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त सेवाएं और सुविधाएं घोषित किए जाने से राज्‍यों की अर्थव्‍यवस्‍था के दिवालिया होने की प्रबल आशंका है। प्रधान न्‍यायाधीश एन.वी. रमणा की अध्‍यक्षता में एक पीठ ने कहा है कि उपहार के रूप में सेवाएं और सुविधाएं प्रदान करने से ऐसी स्थिति आ सकती है, जिसमें धन की कमी की वजह से राज्‍य सरकारें बुनियादी सुविधाएं भी प्रदान नहीं कर पाएंगी। पीठ के अन्‍य सदस्‍यों में न्‍यायमूर्ति हिमा कोहली और सी टी रवि कुमार शामिल थे। शीर्ष न्‍यायालय ने कहा है कि सरकारें ये सौगात करदाताओं के धन का इस्‍तेमाल करके प्रदान करती है और इनका मकसद पार्टी की लोकप्रियता तथा चुनावी संभावनाएं बढ़ाना होता है। अदालत ने इस बार पर जोर दिया है कि विभिन्‍न पक्षों द्वारा उठाए गए मुद्दो पर कोई ठोस आदेश पारित करने से पहले उनकी व्‍यापक सुनवाई करने की आवश्‍यकता है। न्‍यायालय ने मुफ्त सेवाओं के खिलाफ दी गई दलीलें तीन न्‍यायाधीशों की पीठ को सौंप दी। इस मामले की अगली सुनवाई चार सप्‍ताह बाद होगी।
उच्‍चतम न्‍यायालय ने यह आदेश अधिवक्‍ता अश्‍वि‍नी कुमार उपाध्‍याय और अन्‍य लोगों की याचिका पर जारी किया। याचिकार्ताओं ने मांग की थी केन्‍द्र सरकार और निर्वाचन आयोग को निर्देश दिए जाएं कि वे राजनीतिक पार्टियों के चुनाव घोषणा पत्रों को नियंत्रित करने के उपाय करें। उन्‍होंने चुनाव में मतदाता को लुभाने के लिए मुफ्त सुविधाएं और सेवाएं देने की प्रथा का विरोध भी किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *