नई दिल्ली, 30 जुलाई (हि.स.)। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शनिवार को कहा कि देश को प्रगति के रास्ते पर ले जाने की जिम्मेदारी युवाओं की है। हमारे लोकतांत्रिक देश में हम किस तरीके से देश के अंदर बदलाव लाएं, देश की उन्नति के भागीदार बने, यह जिम्मेदारी भी युवाओं की है।
यहां रामजस कॉलेज के वार्षिकोत्सव समारोह को संबोधित करते हुए बिरला ने कहा कि आज देश के युवाओं को हमारे महापुरूषों के विचारों को समझने की आवश्यकता है। देश की आजादी की लड़ाई उन्होंने जिन सपनों के साथ लड़ी थी, उन सपनों को पूरा करने की जिम्मेदारी देश के युवाओं पर है। आजादी का अमृत महोत्सव का जिक्र करते हुए, बिरला ने कहा कि इन 75 वर्षों में भारत ने प्रगति की नई ऊंचाई छुई है। देश की प्रति युवाओं की जिम्मेदारी पर अपने विचार व्यक्त करते हुए बिरला ने कहा कि सिर्फ वोट डालने से लोकतांत्रिक जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती। सरकार बनने के बाद युवाओं की जिम्मेदारी है कि वो सरकार के हर निर्णय और नीतियों में भागीदारी करें। जब किसी विधेयक से पहले कोई ड्राफ्ट लाया जाता है, तो उस पर अपने सुझाव दें, विधेयक और कानूनों का अध्ययन करें और उनका विश्लेषण करें।
हर क्षेत्र में नवाचार पर जोर देते हुए बिरला ने कहा कि सिर्फ स्टार्ट-अप ही नहीं, जीवन के हर क्षेत्र में नवाचार की जरूरत है। खुद को आत्मनिर्भर बनाते हुए हम दूसरों के लिए रोजगार की व्यवस्था करें, इसके लिए युवाओं को नवाचार का उपयोग करना जरूरी है।
लोकसभा अध्यक्ष ने शिक्षा में चरित्र निर्माण की बात करते हुए श्री बिरला ने कहा कि हजारों वर्ष पूर्व जब छात्र गुरुकुल जाते थे तो उन्हें मात्र शिक्षा ही नहीं दी जाती थी, बल्कि उनका चरित्र निर्माण भी किया जाता था। आज दुनिया भौतिक रूप से आगे बढ़ रही है। लेकिन भारत ऐसा देश है, जिसके पास एक समृद्ध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत भी है। यह हमारे संस्कार और संस्कृति ही हैं, जिसके बल पर भारत का युवा आज दुनिया में अनेक क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहा है। दुनिया की बड़ी–बड़ी कंपनियों का नेतृत्व आज भारत के युवा कर रहे हैं।
श्री बिरला ने यह भी उल्लेख किया कि भारत में 65 प्रतिशत से ज़्यादा संख्या युवाओं की है, इसलिए देश की तरक्की के रास्ते भी युवाओं को ही तय करने पड़ेंगे । सरकारें सिर्फ नीतियाँ बना सकती हैं, योजनाएं ला सकती हैं, लेकिन उन्हें इम्प्लीमेंट करने, देश के विकास को गति देने की महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी युवाओं पर ही हैं।
बिरला ने कहा कि पिछले 20 से ज़्यादा वर्षों से हमारी संसद और विधान सभाओं में महिलाओं, युवाओं तथा उपेक्षित समाज की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है, उनका प्रतिनिधित्व भी बढ़ रहा है। चुनावी प्रक्रिया में भी नागरिकों की भागीदारी बढ़ रही हैं। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया की संसद की कार्यवाही नियमित रूप से देखें कि किस प्रकार जनप्रतिनिधि समस्याओं को सदन में रखते हैं और किस प्रकार राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय विषयों पर सदन में चर्चा होती है तथा किस प्रकार लोकतान्त्रिक संस्थाओं में सहमति-असहमति को व्यक्त किया जाता है।उन्होंने यह भी सलाह दी कि हर युवा को संविधान की जानकारी होनी चाहिए। इस सन्दर्भ में श्री बिरला ने कहा कि जल्द ही पार्लियामेंट लाइब्रेरी को सबके लिए ऑनलाइन उपलब्ध करवाया जायेगा।