नई दिल्ली, 16 जुलाई (हि.स.)। आर्थिक तंगी से परेशान एवं साली की शादी की जिम्मेवारी का बोझ उठाकर करीब एक सप्ताह पहले दिल्ली आये प्रमोद ने कभी सपने में नहीं सोचा होगा कि वह दिल्ली और इस दुनिया में सिर्फ एक सप्ताह का ही मेहमान है।
अलीपुर में दीवार गिरने के हादसे में अपने चचेरे भाई प्रमोद कुमार को सदा के लिए खोने वाली शीला का रो-रो कर बुरा हाल है। इतना ही नहीं हादसे में घायल शीला का पति मुन्ना अपने साले के शव को झारखंड भेजने के लिए अपना दर्द भूल गया। शीला पर प्रमोद के परिवार की ओर से उसके शव को झारखंड भेजने का दबाव था, लेकिन मजदूरी करने वाले दंपति के लिए यह मुमकिन नहीं था। ऐसे में दंपति ने एसडीएम से गुहार लगाई। एसडीएम की ओर से पीड़ित परिवार को 15 हजार रुपये और एंबुलेंस की व्यवस्था की। परिवार पोस्टमार्टम के बाद शव को लेकर झारखंड के लिए रवाना हो गए।
मूलतः पलामू झारखंड की फुलवरिया गांव की रहने वाली शीला ने बताया कि वह अपने पति मुन्ना कुमार और दस साल की बेटी कोमल के साथ हमीदपुर गांव में 12 साल से रह रही है। दोनों मजदूरी करते हैं। लेकिन गर्भवती होने की वजह से शीला ने एक महीना से काम करना छोड़ दिया।
उसने बताया कि उसका चचेरा भाई प्रमोद कुमार दिल्ली में काम करना चाहता था। वह झारखंड से रोजगार को लेकर लगातार फोन करता था। उसने फोन पर बताया था कि उसके सास ससुर का देहांत हो गया है। साली की शादी के लिए उसे पैसे इक्कठा करना है। एक सप्ताह पहले प्रमोद अपनी पत्नी, साला साली और बेटी के साथ गाजियाबाद पहुंचा। दो दिन तक वह गाजियाबाद में अपनी बहन के घर रहा और उसके बाद अलीपुर आ गया। शीला ने हमीदपुर गांव में उसे किराए का मकान दिलवाया।
शीला और उसका पति मुन्ना ठेकेदार सिकंदर से बात कर राजमिस्त्री का काम करने वाले प्रमोद और उसकी पत्नी मीना को चार दिन पहले निर्माणाधीन गोदाम में काम दिलवाया था। शीला ने बताया कि काम मिलने से प्रमोद काफी खुश था लेकिन उसे किसी की नजर लग गई।
शुक्रवार को प्रमोद पांचवे दिन काम पर आया था। मीना भी उसके साथ थी। मीना के सामने ही दीवार गिरी। वह अपने पति को मलबे से बाहर निकालने के लिए जद्दोजहद करने लगी और लोगों की मदद से उसे बाहर भी निकाला, लेकिन तब तक उसके पति मौत हो चुकी थी। प्रमोद घर में अकेला कमाने वाला था, उसकी मौत ने पूरे परिवार को तोड़कर रख दिया है।