नई दिल्ली, 08 जुलाई (हि.स.)। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे का आज एक हमलावर की गोली से घायल होने के बाद अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। यह भारत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। दरअसल, शिंजो आबे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मिलकर भारत और जापान के सदियों पुराने रिश्ते को एक मुकाम पर पहुंचाया। भारत में जापान के सहयोग से कई परियोजनाएं चल रही हैं, जिसका श्रेय बहुत हद तक शिंजो आबे को जाता है।
शिंजो आबे के सहयोग से भारत में चल रही महत्वपूर्ण परियोजनाओं में बुलेट ट्रेन, दिल्ली मेट्रो, दिल्ली मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, देश के अन्य शहरों में बुनियादी ढांचे के विकास से जुड़ी परियोजनाएं और पूर्वोत्तर भारत के विकास जुड़ी कई परियोजनाएं शामिल हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि एक तरह से उन्होंने जापान के खजाने का मुंह भारत के लिए खोल दिया था। दरअसल, साल 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत और जापान दोनों के रिश्तों में नया जोश भर गया। इस दौरान दोनों देशों के बीच कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए।
दरअसल, शिंजो आबे के कार्यकाल में काशी को क्योटो के तर्ज पर विकसित करने, बुलेट ट्रेन परियोजना, न्यूक्लियर एनर्जी, इंडो पेसिफिक रणनीति और एक्ट ईस्ट पॉलिसी पर काम शुरू हुआ। साल 2014 में जब प्रधानमंत्री मोदी जापान गए तो काशी को क्योटो के तर्ज पर विकसित करने का समझौता हुआ था। इसके तहत जापान काशी को स्मार्ट सिटी बनाने में जरूरी बुनियादी ढांचा (इन्फ्रास्ट्रक्चर) बनाने के साथ-साथ ऐतिहासिक धरोहरों, कला और संस्कृति को संरक्षित करने में भी मदद कर रहा है। भारत में पहली बुलेट ट्रेन परियोजना की शुरुआत भी आबे के कार्यकाल में हुई। इसके लिए 2015 में समझौता हुआ था जबकि साल 2017 में मोदी और आबे ने इस महत्वपूर्ण परियोजना की आधारशिला रखी थी।
इस समझौते के तहत अहमदाबाद से मुंबई तक बुलेट ट्रेन परियोजना में करीब 1.1 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिसमें 81 फीसदी राशि जापान सरकार के सहयोग से जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए) देगी। जापान इसके लिए 0.1 फीसदी पर लोन दे रहा है। हालांकि कई कारणों से यह प्रोजेक्ट देरी से चल रहा है और देश में पहली बुलेट ट्रेन 2026 से चलने की संभावना है। इसके साथ ही 1483 किलोमीटर लंबे दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (डीएमआईसी) में भी जापान सहयोग कर रहा है। जनवरी 2014 में इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिली थी। करीब 90 अरब डॉलर की इस परियोजना के लिए जापान ने 4.5 अरब डॉलर का लोन दिया था। इसके अलावा देश के कई शहरों में जापान के सहयोग से मेट्रो प्रोजेक्ट बन रहे हैं।