अगरतला, 26 जून | त्रिपुरा में भाजपा ने जीत का सिलसिला बरकरार रखा है। उपचुनाव मे भाजपा ने चार में से दो जीते हैं और एक सीट पर आगे चल रही है। कांग्रेस ने एक सीट जीती है। सीपीएम को एक भी सीट जीतने की संभावना नहीं है। इससे साफ है कि उपचुनावों में वाम मोर्चा को भारी हार का सामना करना पड़ा है।
6-अगरतला के कांग्रेस उम्मीदवार सुदीप रॉय बर्मन ने 3202 मतों के अंतर से जीत हासिल की। उन्होंने 2018 में भाजपा उम्मीदवार के रूप में सीट जीती थी। इसके बाद वे भाजपा गठबंधन सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने थे। लेकिन डेढ़ साल के भीतर, उन्होंने अपना मंत्रालय खो दिया था। वह हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए हैं। इससे पहले उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। आज उन्होंने भाजपा प्रत्याशी डॉ अशोक सिन्हा को हराया है।
8-टाउन बाराडोवाली क्षेत्र में मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा ने 6104 वोटों के अंतर से जीत हासिल की है। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार आशीष कुमार साहा को हराया है। आशीष ने भी 2018 का विधानसभा चुनाव बीजेपी के टिकट पर जीता था। हालांकि सुदीप बर्मन के साथ उन्होंने भी विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। हाल ही में बिप्लब कुमार देव ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया है। फिर डॉ. माणिक साहा को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने उपचुनाव में भारी अंतर से जीत हासिल की। इससे पहले उन्होंने राज्यसभा चुनाव जीता था। हालांकि, यह पहली बार है जब उन्हें आम वॉटर ने चुना है।
57-युवराजनगर क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार मोलिना देबनाथ ने जीत हासिल की है। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी वाम मोर्चा के उम्मीदवार शैलेंद्र चंद्र नाथ को 4572 मतों के अंतर से हराया है। वह बिधानसभा क्षेत्र 2018 में सीपीएम ने जीता था। पूर्व स्पीकर रामेंद्र चंद्र देवनाथ उस केंद्र के विधायक थे। हालांकि, उनके निधन के कारण उस केंद्र में उपचुनाव हुआ था। युवराजनगर निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा की भारी जीत, जिसे सीपीएम का गड़ कहा जाता है, ने साबित कर दिया है कि त्रिपुरा में वामपंथियों का अस्तित्व गंभीर संकट मे है।
46-सूरमा विधानसभा क्षेत्र के नतीजे अभी घोषित नहीं किए गए हैं। हालांकि उस केंद्र में भाजपा के उम्मीदवार आगे हैं। भाजपा प्रत्याशी स्वप्ना दास पाल को अब तक 12513 वोट मिले हैं। वहीं सीपीएम के वाम मोर्चा प्रत्याशी अंजन दास को 6179 और तिपरा मोथा के बाबूराम सतनामी को 7469 वोट मिले है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उपचुनावों ने तृणमूल कांग्रेस की चरम स्थिति का पोरिणाम सामने आया है। कई केंद्रों पर जमानत जब्त हो गई है। जैसा कि यह पता चला है, पश्चिम बंगाल मॉडल त्रिपुरा में लोगों को प्रभावित करने में पूरी तरह विफल रहा है।