कोर्ट ने चार आरोपितों को साक्ष्यों के अभाव में बरी किया
नई दिल्ली, 17 जून (हि.स.)। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने टेरर फंडिंग के मामले में पांच आरोपितों के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं। स्पेशल जज प्रवीण सिंह ने इसी मामले में चार आरोपितों को साक्ष्यों के अभाव में बरी करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने जिन आरोपितों के खिलाफ आरोप तय किए हैं उनमें शेख अब्दुल नईम, बेदार बख्त, तौसीफ अहमद मलिक, हबीब उर रहमान और जावेद शामिल हैं। कोर्ट ने इन आरोपितों के खिलाफ यूएपीए की धारा 17, 18, 20, 40 21 और पासपोर्ट एक्ट के तहत आरोप तय किए गए हैं। कोर्ट ने जिन आरोपितों को साक्ष्यों के अभाव में जिन आरोपितों को बरी करने का आदेश दिया उनमें अब्दुल समद, दिनेश गर्ग, आदिश कुमार जैन और गुल नवाज शामिल हैं।
एनआईए ने 10 जून को चार्जशीट दाखिल की थी। एनआईए ने कहा कि शेख अब्दुल नईम टेरर फंडिंग मामले का मुख्य आरोपित है। वह मध्यपूर्व के देशों में रहने वाले अपने साथियों के साथ संपर्क में था जो खाड़ी देशों से आने वाले रुपयों को भारत में हवाला के जरिए पहुंचा रहे थे। एनआईए के मुताबिक नईम बांग्लादेश सीमा से आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए 2007 में भारत आया था। इस दौरान उसे 2017 में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दोषी करार दिया था लेकिन कोर्ट से बंगाल ले जाते समय नईम कोलकाता पुलिस की हिरासत से भाग कर उत्तर प्रदेश के रामपुर इलाके में आ गया था। जहां उसने अपने साथियों की मदद से खाड़ी देशों से आने वाली रकम को आतंकी घटनाओं में हथियार की खरीदारी में लगाना शुरू कर दिया।
एनआईए के मुताबिक नईम ने जावेद की मदद से कुल 14 करोड़ रुपये हवाला के जरिए देश के अलग-अलग स्थानों और बैंक खातों में मंगाए। नईम को 28 नवंबर 2017 को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया था। जांच के दौरान, यह पता चला कि आरोपी बेदार बख्त, तौसीफ अहमद मलिक, मफूज आलम, हबीब-उर-रहनाम और अमजद ने नईम को शरण दी थी और उसे रसद और मोबाइल फोन उपलब्ध कराए थे। इन आरोपितों ने नईम के लिए धन जुटाया था और उसे दूसरी सुविधाएं उपलब्ध कराई थी। आरोपितों ने नईम की सोनू सोहेल खान के रूप में फर्जी पहचान बनाने में भी मदद की थी। जांच के दौरान आगे पता चला कि अब्दुल समद, आरोपित दिनेश गर्ग और जैन कथित तौर पर सऊदी अरब से प्राप्त धन प्राप्त करने, एकत्र करने और वितरित करने में शामिल थे।
कोर्ट ने मामले में सरकारी गवाह बने समद, गर्ग, जैन और गुल नवाज को यूएपीए की धाराओं सहित सभी अपराधों से बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 468, 471, पासपोर्ट अधिनियम और आधार अधिनियम की धाराओं के तहत दंडनीय अपराधों के लिए भी चार्जशीट तो दायर किया गया लेकिन इस मामले में न तो एनआईए ने कोई साक्ष्य सामने रखा है न ही कोई आरोप लगाया है। कोर्ट ने एनआईए को हिदायत देते हुए कहा कि मामले में गंभीरता से जांच करते हुए चार्जशीट दाखिल करनी चाहिए।