चंडीगढ़, 24 मई (हि.स.)। हरियाणा में राज्यसभा की दो सीटों के लिए जोड़तोड़ की राजनीति शुरू हो गई है। मंगलवार से नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के बावजूद पहले दिन किसी भी राजनीतिक दल की तरफ से नामांकन नहीं किया गया है। अलबत्ता बैठकों का दौर शुरू हो गया है। हरियाणा में राज्यसभा सांसद सुभाष चंद्रा तथा दुष्यंत कुमार गौतम का कार्यकाल समाप्त हो रहा है।
एक सीट पर भाजपा तो दूसरी सीट पर कांग्रेस का मजबूत दावा है। इस गणित के बीच अगर भाजपा ने दूसरी सीट पर भी दावा जताते हुए अपना प्रत्याशी उतार दिया तो समीकरण पूरी तरह से गड़बड़ा सकते हैं। दोनों सीटों पर अपने सांसद भेजने के लिए सरकार में जोड़तोड़ शुरू हो गया है।
कांग्रेस वर्किंग कमेटी के विशेष आमंत्रित सदस्य कुलदीप बिश्नोई पिछले करीब एक महीने से कांग्रेस हाईकमान से खासे नाराज़ हैं। पिछले दिनों वे सीएम मनोहर लाल खट्टर से भी गुरुग्राम में मुलाकात कर चुके हैं। इससे पहले भी कुलदीप भाजपा के साथ नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश कर चुके हैं। राज्य सभा चुनावों में न तो व्हिप जारी हो सकता है और न ही इन चुनावों में दल-बदल कानून लागू होता है।
जिन दो सीटों पर 10 जून को चुनाव होने जा रहा है, करीब छह साल पहले इन्हीं दो सीटों पर स्याही कांड हुआ था। उस समय भाजपा ने पहली सीट पर बीरेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया था। दूसरी सीट पर भाजपा समर्थित सुभाष चंद्रा चुनाव में थे। कांग्रेस व इनेलो ने मिलकर एडवोकेट आरके आनंद को प्रत्याशी बनाया था। चौदह विधायकों के वोट पेन बदलने के चलते रद्द हो गए थे। ऐसे में दूसरी सीट पर भी भाजपा समर्थित सुभाष चंद्रा की जीत हुई थी और कांग्रेस-इनेलो समर्थित प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा।
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क्या होगा राज्यसभा का हरियाणा में समीकरण
90 विधायकों वाली हरियाणा विधानसभा में पहली सीट पर चुनाव जीतने के लिए भाजपा को 31 विधायकों की जरूरत पड़ेगी। भाजपा के पास इस समय 40 विधायक अपने हैं। जजपा के 10 विधायकों का भाजपा को समर्थन हासिल है। सात निर्दलीयों में से बलराज कुंडू को छोडक़र छह विधायक भी भाजपा के साथ हैं। सिरसा विधायक गोपाल कांडा ने भी सरकार को समर्थन दिया हुआ है। ऐलनाबाद विधायक अभय सिंह चौटाला भी ऐसी स्थिति में भाजपा के साथ जा सकते हैं। ऐसे में अगर तीसरा प्रत्याशी मैदान में आता है तो कांग्रेस को चुनावों में जीत हासिल करने के लिए कम से कम 30 विधायकों की जरूरत होगी।