नई दिल्ली, 19 मई (हि.स.)। भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक देश को तपेदिक यानीय टीबी से मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। इसे सफल बनाने के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अब क्षय रोग से पीड़ित लोगों को गोद लेने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। इस योजना के तहत कोई भी स्वयंसेवी संस्था, औद्योगिक इकाई या संगठन, राजनीतिक दल या कोई व्यक्ति टीबी के मरीज को गोद ले सकेगा, ताकि वह उसका समुचित इलाज करा सके।
गुरुवार को केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने इस योजना के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि देश को तपेदिक से मुक्त बनाने की दिशा में मंत्रालय इस रोग से पीड़ित मरीजों को अपनाने का अभियान शुरू करने जा रहा है। लोग सामाजिक दाय़ित्व के तहत मरीजों के इलाज और खान-पान का खर्च उठा सकेंगे। इसके लिए स्टेक होल्डर और समाज के लोगों का आहवान किया जाएगा।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग माध्यम से 35वीं स्टॉप टीबी पार्टनरशिप बोर्ड की बैठक को संबोधित डॉ. मनसुख मंडाविया ने कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधियों जैसे माननीय संसद सदस्यों, राज्यों में विधानसभाओं के माननीय सदस्यों, शहरी स्थानीय निकायों के सदस्यों और जमीनी स्तर पर पंचायत प्रतिनिधियों को टीबी के लिए जागरूकता बढ़ाने और उसके निवारण में सक्रिय रूप से शामिल कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में आपदा को अवसर में बदलने के लिए कई नई पहल की गई हैं, जैसे कोरोना के साथ टीबी का ‘द्विदिशात्मक परीक्षण’, घर-घर टीबी का पता लगाने के अभियान, उप-जिला स्तरों पर तेजी से आणविक निदान का पैमाना, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डिजिटल उपकरणों का उपयोग शामिल है।
डॉ मंडाविया ने घोषणा की कि इस साल के अंत में हम ‘सी-टीबी’ नामक एक नया स्वीकृत “मेड इन इंडिया” टीबी संक्रमण त्वचा परीक्षण लॉन्च करेंगे। डॉ. मंडाविया ने टीबी को खत्म करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया और सभी से “टीबी समाप्त” लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हर स्तर पर सहयोग और सहयोग करने का आग्रह किया।