गाजियाबाद, 19 मई (हि.स.)। बहुचर्चित निठारी कांड में एक युवती की दुष्कर्म के बाद हत्या के केस में सीबीआई की विशेष अदालत ने गुरुवार को दोषी सुरेंद्र कोली को फांसी की सज़ा सुनाई। इसी केस में देह व्यापार के मामले में दोषी मोनिंदर सिंह पंढेर को सात साल की सज़ा सुनाई। अदालत ने कोली पर 40 हजार और पंढेर पर चार हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है।
निठारी श्रृंखलाबद्ध हत्याकांड का यह अंतिम 16वां मामला था। इससे पहले के मामलों में कोली को फांसी की सज़ा सुनाई जा चुकी है। अभी तक सिर्फ एक मामले में राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज होने के बाद मेरठ में फांसी दी जानी थी, लेकिन देरी होने से सुप्रीम कोर्ट ने फांसी निरस्त कर दी थी।
अदालत ने कोली को युवती की दुष्कर्म के बाद हत्या तथा साक्ष्य छुपाने की धाराओं में जबकि पंढेर को अनैतिक देह व्यापार करने की धाराओं में सज़ा सुनाई। अभियोजन पक्ष के मुताबिक उत्तराखंड में उधमसिंह नगर जनपद निवासी एक सख्स नौकरी की तलाश में साल 2005 में यूपी के जिला गौतमबुद्ध नगर में आया था। उसकी बेटी दभी अपने लिए नौकरी तलाश रही थी। आरोप है कि 7 मई 2006 को उसकी बेटी को नौकरी के लिए मोनिंदर सिंह पंढेर ने बुलाया, इसके बाद वह घर नहीं लौटी।
पिता ने 8 मई 2006 को नोएडा के थाना सेक्टर 20 में बेटी की गुमशुदगी दर्ज कराई थी। 24 अगस्त 2006 को ने गौतमबुद्ध नगर कोर्ट के आदेश पर मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली पर अपहरण का केस दर्ज कराया। विवेचना के दौरान पुलिस को गायब युवती का मोबाइल सुरेंद्र कोली से बरामद हुआ। इसके बाद पुलिस ने पंढेर और कोली से सख्ती से पूछताछ की तो युवती का शव गांव निठारी स्थित दी–5 कोठी के नाले से बरामद किया। डीएनए जांच से इसकी पुष्टि हुई थी। मामला सीबीआई के जज राकेश त्रिपाठी की विशेष अदालत में विचाराधीन था। इससे पहले अदालत ने साक्ष्य के अभाव में सब इंस्पेक्टर सिमरनजीत कौर को बरी कर दिया था।