कोलकाता, 19 मई (हि.स.)। स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के दफ्तर में मौजूद साक्ष्यों की सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ की तैनाती संबंधी हाई कोर्ट की एकल पीठ के फैसले के खिलाफ खंडपीठ पहुंची राज्य सरकार को झटका लगा है। इस याचिका पर सुनवाई से खंडपीठ के न्यायमूर्तियों ने खुद को अलग कर लिया है।
राज्य सरकार ने हाई कोर्ट की एकल पीठ के आदेश के खिलाफ न्यायमूर्ति हरीश टंडन और न्यायमूर्ति रवींद्रनाथ सामंत की खंडपीठ में याचिका लगाई थी। गुरुवार को कोर्ट में जैसे ही मामले की सुनवाई शुरू हुई, खंडपीठ ने ने तुरंत स्पष्ट कर दिया कि वे इस मामले को नहीं सुनेंगे। दोनों न्यायमूर्तियों ने कहा कि उनके व्यक्तिगत कारण हैं। इसलिए वे खुद को इस मामले की सुनवाई से अलग कर रहे हैं। बाद में यह मामला मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव के संज्ञान में लाया गया है।
दरअसल, न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली की एकल पीठ ने शिक्षक नियुक्ति से संबंधित दस्तावेजों की सुरक्षा और साक्ष्यों को सुरक्षित रखने के लिए एसएससी दफ्तर में पुलिस के बजाय सीआरपीएफ की तैनाती करने के आदेश दिए थे। कोर्ट के आदेश के बाद बुधवार देर रात 2:30 बजे के करीब सीआरपीएफ ने एसएससी दफ्तर को अपने सुरक्षा घेरे में ले लिया था। इससे पहले नियुक्ति में भ्रष्टाचार संबंधी सात मामले में न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। इन सभी आदेशों के खिलाफ सरकार की याचिका पर न्यायमूर्ति हरीश टंडन की खंडपीठ ने स्टे लगा दिया था। इसके बाद न्यायमूर्ति गांगुली ने इन दोनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था।