नई दिल्ली, 17 मई (हि.स.)। रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच हथियारों की आपूर्ति में अनिश्चितता के बाद भारत ने रूस के साथ 520 मिलियन डॉलर में 10 कामोव-31 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग हेलीकॉप्टर का सौदा करने के लिए बातचीत रोक दी है। यह सौदा रुकने से देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत के लिए कामोव-31 हेलीकॉप्टरों को मिलने में देरी होगी, जिसे आजादी की 75वीं वर्षगांठ के समय देश को समर्पित किया जाना है।
रक्षा मंत्रालय ने मई, 2019 में 10 कामोव-31 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग हेलीकॉप्टर के अधिग्रहण को मंजूरी दी थी। बाद में रूसी कंपनी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट से यह बातचीत अत्यधिक दाम के कारण रोकनी पड़ी। इसके बाद फरवरी, 2022 में 520 मिलियन डॉलर की कीमत पर समझौता करने के बाद अधिग्रहण वार्ता फिर से शुरू हुई लेकिन रुपये-रूबल मुद्रा तंत्र बातचीत के प्रयास में एक और रोड़ा बन गया। रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने वैकल्पिक भुगतान तंत्र स्थापित करने के लिए मार्च, 2022 से प्रयास किये लेकिन वार्ताकार सहमत नहीं हो पाए।
भारतीय रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इस बीच रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष छिड़ने के बाद हथियारों की आपूर्ति में अनिश्चितता के बादल गहरा गए। यूक्रेन से युद्ध शुरू होने पर रूसी रक्षा मंत्रालय ने भारत को हथियारों की आपूर्ति बाधित न होने का भरोसा दिया था। रूस ने यहां तक कहा था कि ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत स्वदेशी हथियारों के निर्माण में लगने वाले उपकरणों और हथियारों की आपूर्ति में कोई दिक्कत नहीं आने दी जाएगी। हालांकि इस बीच रूस ने भारतीय वायु सेना को अत्याधुनिक एस-400 मिसाइल डिफेन्स सिस्टम की दूसरी खेप दी और तीसरी खेप अगले महीने देने जा रहा है।
दरअसल, पांच एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 खरीदने के लिए 5.43 बिलियन डॉलर यानी 40 हजार करोड़ रुपये में रूस और भारत के रक्षा मंत्रियों ने पिछले साल 06 दिसम्बर को अंतिम रूप दिया था। इसलिए एस-400 की आपूर्ति की जा रही है लेकिन भारत सरकार ने रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के साथ कामोव-31 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग हेलीकॉप्टर के सौदे के लिए बातचीत को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया। हालांकि सूत्रों का कहना है कि यह सौदा भुगतान हस्तांतरण से संबंधित मुद्दों की वजह से रोका गया है। यह फैसला राजनीतिक दबाव के कारण भी हो सकता है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने यूक्रेन पर हमले के लिए रूस की निंदा की है।
भारतीय नौसेना के अधिकारियों ने कहा कि यह सौदा रुकने से देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के लिए कामोव-31 हेलीकॉप्टरों को मिलने में देरी होगी, जिसे आजादी की 75वीं वर्षगांठ के समय देश को समर्पित किया जाना है। मौजूदा समय में नौसेना 14 केए-31 हेलीकॉप्टर संचालित करती है, जो 2003 में चार, 2005 में पांच और 2013 में पांच बेड़े में शामिल किये गए थे। कामोव-31 चॉपर का यह बेड़ा खुले समुद्र में चलने वाले भारतीय एरक्राफ्ट कैरियर और डिस्ट्रॉयर्स की रक्षा करता है।
कामोव-31 हेलीकॉप्टरों की खासियत
यह हेलीकॉप्टर वजन में काफी हल्के हैं, इसलिए इन पर नियंत्रण रखना काफी आसान होता है। इसी के साथ ये दुश्मन पर सटीक निशाना लगाने में माहिर हैं। भारत की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए चॉपर में कुछ बदलाव भी किए गए हैं। हेलीकॉप्टर का मुख्य मिशन खतरे की पहचान करना है, जिसमें फिक्स्ड-विंग एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टर जैसे एयरबोर्न थ्रेट शामिल हैं। इसमें एक अर्ली वॉर्निंग रडार का बड़ा एंटीना लगा है। रडार के साथ हस्तक्षेप को रोकने के लिए लैंडिंग गियर पीछे हो जाता है। इसके फ्यूल टैंक फायर सप्रेसेंट लो डेंसिटी पॉलीयूरेथेन फोम मटेरियल से भरे होते हैं। इसकी अधिकतम गति 250 किमी. प्रति घंटा है।