नई दिल्ली, 16 मई (हि.स.)। बाहरी जिले के मुंडका अग्निकांड के चौथे दिन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग(एनएचआरसी) स्वतः संज्ञान लेते हुए सोमवार को घटनास्थल का दौरा किया। टीम इमारत की तीनों मंजिलों पर जाकर उसका मुआयना किया और पूरी इमारत की वीडियोग्राफी करवाई। टीम के दौरे के दौरान मुंडका थाना प्रभारी मौके पर मौजूद रहे। आयोग ने थाना प्रभारी से इमारत में लगी आग के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल की। टीम करीब एक घंटे तक इमारत में रहने के बाद यहां से चले गए।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम सोमवार दोपहर सवा एक बजे घटनास्थल पर पहुंची। टीम ने पहले इमारत के बाहरी हिस्से को देखा और फिर पीछे के दरवाजे से पहली मंजिल पर पहुंची। जहां से आग की शुरूआत हुई थी। टीम के साथ मुंडका थाना प्रभारी गुलशन नागपाल मौजूद थे। टीम ने थाना प्रभारी से आग लगने के बारे में जानकारी ली। टीम करीब एक घंटे तक इमारत के तीनों मंंजिल का मुआयना किया।
आयोग के डीआइजी सुनील मीणा ने बताया कि अंदर जाकर हमने निरीक्षण किया है। इमारत पूरी तरह से खाक हो चुकी है। इस मामले में मानवाधिकार का उल्लंघन हुआ है और इसी दिशा में आगे की जांच कर रहे हैं। घटना के बारे में पूरी जानकारी ली जा रही है। उधर आयोग ने रविवार को दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है। नोटिस में इस घटना के जिम्मेदार अधिकारी व उनपर कार्रवाई सहित अन्य बातों का उल्लेख करते हुए जवाब मांगा गया है।
सूत्रों की मानें तो आयोग की टीम के सदस्य इमारत में काम करने वाले और मृतकों के परिजनों से भी मिल सकते हैं। लेकिन इस मामले में कोई अधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं हुई है। वहीं दूसरी तरफ भी जहां पुलिस पकड़े गए इमारत मालिक और कंपनी मालिक गोयल ब्रदर्स से पूछताछ चल रही है। गोयल ब्रदर्स से बैंक की डिटेल लेने में जुटी रही। जिसके बाद टीम बैंक अधिकारियों से संपर्क करके दस्तावेज इक्ट्ठा करेगें।
हमको शव तो दिखा दो,हम ही पहचान कर लेगें अपनों की-परिजन
हादसे की चपेट में आए मृतकों व लापता कर्मचारियों के परिजन सोमवार को संजय गांधी अस्पताल पहुंचे। जिनको पिछले दो दिन की तरह से मायूसी ही हाथ लगी। बस वो मीडिया के सामने अपनों की फोटो दिखाकर उनकी पहचान करने की कोशिश करते रहे।
आलम यह है कि अब उनकी आखों के आसूं भी सूख चुके हैं। उनका कहना है कि हमकों पता चल जाए कि हमारा अपना जिंदा है या मर गया है। हम पिछले तीन दिनों से बस अपने की फोटो लेकर भाग ही रहे हैं,लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा है। घर में कोई भी न तो खा रहा है न पी रहा है। हलक से नीचे पानी तक नहीं उतर रहा है। हम क्या करें,न तो पुलिस मदद कर रही है ओर न ही डॉक्टर व मोर्चरी वाले।
सोमवार सुबह निशा,नरेन्द्र,आशा,भारती देवी और मुस्कान के परिवार वाले संजय गांधी अस्पताल पहुंचे थे। जिनका कहना था कि पुलिस बस हमारी यह सहायता कर दें कि हमकों मोर्चरी में शवों व अवशेषों को दिखा दे। जिससे हम अपनों की पहचान करने की कोशिश कर सके। शायद जो निशानी हमको अपनों की पता हो वो शायद अभी जिंदा हो। लेकिन इस मामले में पुलिस भी हमारी नहीं सून रही है।
जो बच गए वो भी अपने साथियों के बारे में पहुंचे अस्पताल
संजय गांधी अस्पताल में सोमवार को अपनों की तलाश में परिजन जो आए ही थे। जबकि वो भी आए जिनके दोस्त उनके करीबी थी। मोना,दिशा रावत,आईशा,सेजल आदी ऐसे महिला कर्मचारी थे। जो हादसे के वक्त अपनी जान पर खेलकर इमारत से नीचे कूद गए थे।
जिनके चोट जरूर लगी थी। लेकिन वो आज अपने परिवार के साथ हैंं। इन सभी का कहना था कि जो साथी हादसे का शिकार हुए हैं। वो हमारे परिवार की तरह से थे। हर एक सूख दुख में हम साथ खड़े रहते थे। हम जो बच गए हैं,हम लापता और मृतक साथियों के घर वालों से संपर्क कर रहे हैं।
उनकी सहायता करने की कोशिश कर रहे हैं। हम भी शवों की पहचान करने में उनकी मदद करने आए हैं। हम कैसे भूल जाए कि जो हादसे की चपेट में आए हैं,उनसे कुछ दिन पहले हंसी खुशी बोल रहे थे। हमको अपने दोस्तों के जाने का दुख है। लेकिन अगर कोई दोषी है तो उसको सजा जरूर मिलनी चाहिए। उनका कहना था कि मालिकों को हादसे की चपेट में आए कर्मचारियों को मुआवजा जरूर देना चाहिए। जिससे उनकी थोड़ी सहायता तो हो सके। क्योंकि जो भी काम कर रहे थे,वो मजबूरी में ही घरों से बाहर नौकरी करने के लिये निकले थे।
दम घुटने के बाद बेहोश होने से जलकर हुई मौत !
मुंडका हादसे में जितने लोगों की भी मौत हुई है और शव व अवशेष मिले हैं। उनको देखकर मेडिकल चिकित्सकों की मानें तो हो सकता है कि धुआं भरने के बाद लोगों की सांस में धुआं घुसने से वे लोग बेहोश हो गए थे। जो फर्श पर गिर गए थे।
भगदड़ वहां पर मच ही गई थी। वहां पर बिजली नहीं होने और खिडक़ी से रोशनी तक नहीं आने से वहां पर अंधेरा हो गया था। जिससे जो बेहोश होकर फर्श पर गिरे उनको बचाने की कोशिश किसी ने नहीं की होगी। उनके ऊपर पैर रखकर लोगों ने इमारत से छलांग लगानी शुरू कर दी थी। आग जब वहां पर लगी,बेहोश पड़े लोग उसकी चपेट में आ गए होगें।
जिससे उनकी मौत हो गई। शवों पूरी तरह से जले हुए हैं। उनपर आग का धुआं पूरे शरीर में लगा हुआ है। इसके अलावा जो अवशेष हैं,उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वहां पर आग की हिट कितनी ज्यादा रही होगी कि शरीर पूरी तरह से जल गया और वो अवशेष में तब्दील हो गया। ऐसे में आशंका लगाई जा सकती है कि मृतकों के शरीर पूरी तरह से जल गए थे। जिनके अवशेष भी नहीं बचे हैं। मलबे को काफी सावधानी से अगर खंगाला जाएगा तो जरूर उनको बहुत छोटे छोटे अवशेष जरूर मिल जाएंगे।
इसके अलावा यह भी आशंका है कि दमकलकर्मियों ने जो हजारों लीटर पानी आग बुझाने में किया है। पानी में भी अवशेष बह गए होगें। जिनको इक्ट्ठा करना शायद ही संभव हो पाएगा। ऐसे में हो सकता है कि कुछ परिजनों को उनके अपनों के शव व अवशेष मिल भी नहीं पाए।
परिजन जल्द ही पुलिस आयुक्त व उपायुक्त से लगा सकते हैं गुहार
जिन परिजनों के उनके अपने नहीं मिले हैं। अब उनका सबर का बांध भी टूटने लगा है। ऐसे में अब वो पुलिस आयुक्त व उपायुक्त आदी से मिलने की बात कर रहे हैं। जल्द ही वो किसी समाजसेवी संस्था का सहारा लेकर लेकर इसी हफ्ते मिल सकते हैं। भागय विहार और परवेश नगर में चालीस से ज्यादा परिवार ऐसे हैं,जिनके अपने लापता है। ऐसे में अभी तक वे खुद ही उनको तलाश रहे हैं। लेकिन अब वो यह कदम उठाने की सोच रहे हैं। उनका कहना है कि अगर उनको कोई सहायता नहीं मिलती है तो वे शायद सडक़ों पर उतरकर प्रर्दशन भी कर सकते हैं।
सैंपल के नाम पर लगवा रहे चक्कर
अगर नगर के नरेंद्र चार दिन से लापता हैं।उनके स्वजन सोमवार को अस्पताल में पहुंचे।उनके भाई ने बताया कि डीएनए टेस्ट के लिए हर रोज बुला रहे हैं।जब अस्पताल में आते हैं तो कोई सैंपल ही नहीं लेता। न ही पुलिस कर्मी कोई जानकारी दे रहे हैं और न ही अस्पताल प्रशासन।उन्होंने बताया कि पहले एक बार सैंपल लिया गया था, जिसकी रिपोर्ट नहीं आई।
इसके बाद वह मुंडका थाना गए, जहां से उन्हें दोबारा से सैंपल देने के लिए संजय गांधी अस्पताल भेज दिया गया।जब अस्पताल भेजा गया तो कर्मियों ने कहा कि पहले सैंपल की रिपोर्ट अभी तक आई नहीं है तो दूसरा सैंपल कैसे लें। नरेंद्र की मां राजरानी ने बताया कि यह तो हमें अंधकार में रखने की बात है। कुछ स्पष्ट नहीं किया जा रहा है।
तीन दिन तक नहीं करवाई थी शिनाख्त
मीरा देवी की छह बेटियां व एक बेटा है।इनमें से एक निशा कुमारी लापता है।स्वजन ने आरोप लगाया कि चार दिन बाद भी उन्हें शव नहीं दिखाया। बताते हुए वह रोने लगी।उन्होंने कहा कि दस दिन तक वह कैसे इंतजार करेंगे।बच्चों को खिलाने के लिए कहां से पैसे लाएंगे।अगर काम नहीं करेंगे तो घर कैसे चलेगा।सोमवार सुबह अस्पताल के शवगृह के बाहर बैठे निशा के स्वजन ने बताया कि चार दिन से शव की शिनाख्त भी नहीं करवाई गई है। इसके बाद जब अस्पताल कर्मियों को इसकी शिकायत की गई तो उन्होंने शिनाख्त करवाने के लिए निशा के चाचा को शवगृह में भेजा।जहां पर उन्हें निशा का शव नहीं मिला।