कुशीनगर, 12 मई (हि. स.)। यूं तो गौतम बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थल कुशीनगर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम सहित कई देशों के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री आते रहे हैं। किन्तु यह पहला अवसर होगा जब बुद्ध जयंती पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यहां होंगे।
बुद्ध पूर्णिमा को वैश्विक बौद्ध जगत में विशेष महत्व प्राप्त है। दरअसल इस तिथि को लुंबनी में बुद्ध का जन्म हुआ था। कुशीनगर में बुद्ध को निर्वाण भी इसी तिथि को प्राप्त हुआ और बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति भी पूर्णिमा तिथि को ही हुई थी। बौद्ध धर्मगुरुओं ने इसे त्रिविध पावन बुद्ध पूर्णिमा का नाम दिया। दुनिया भर के बौद्ध अनुयायी इस तिथि को पर्व के रूप में मनाते हैं और विविध प्रकार के अनुष्ठान व रचनात्मक आयोजन करते हैं।
कुशीनगर में भी बुद्ध जयंती समारोहपूर्वक मनाई जाती रही है। म्यांमार, थाईलैंड, श्रीलंका, जापान, कोरिया, भूटान, वियतनाम, इंडोनेशिया के बौद्ध विहार यहां स्थित है। इन देशों के बौद्ध भिक्षु समारोह में शामिल होते हैं। महापरिनिर्वाण मन्दिर समेत सभी बौद्ध विहारों में कई दिन पूर्व से ही विविध अनुष्ठान शुरू हो जाते हैं। बुद्ध जयंती समारोह में प्रदेश के मंत्री से लगायत उच्च अधिकारी, विदेशी राजनयिक शामिल होते रहे हैं। किंतु 2566 वीं बुद्ध जयंती को यह पहला अवसर है जब महापरिनिर्वाण भूमि पर देश के प्रधानमंत्री के कदम पड़ेंगे। प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर बौद्ध भिक्षु खुशी से फुले नहीं समा रहे हैं।
श्रीलंकाई बौद्ध भिक्षु अस्स जी महाथेरो का कहना है बुद्ध सबके हैं और सभी बुद्ध के हैं। 2500 वर्ष पूर्व बुद्ध ने दुनिया को शांति से रहने और अहिंसा के मार्ग पर चलना सिखाया। आज भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उस मार्ग पर दुनिया को ले चलने की कोशिश कर रहे हैं। निश्चित रूप से बुद्ध का और समूचे बौद्ध जगत का आशीर्वाद प्रधानमंत्री को प्राप्त होगा।