नई दिल्ली, 12 मई (हि.स.)। महंगाई में लगातार हो रही बढ़ोतरी पर काबू पाने के लिए इसी महीने 4 तारीख को भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने आपात बैठक करके ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने का फैसला किया था। ब्याज दरों में हुई बढ़ोतरी की वजह से लगे झटके और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनी विषम परिस्थितियों की वजह से अभी तक घरेलू शेयर बाजार उबर नहीं सका है और लगातार गिरता जा रहा है। 4 तारीख से लेकर अभी तक के 7 कारोबारी दिनों में ही शेयर बाजार 7 प्रतिशत से अधिक टूट चुका है। माना जा रहा है कि अगर जल्द ही अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों में सकारात्मक बदलाव नहीं हुए, तो शेयर बाजार और भी नीचे लुढ़क सकता है।
4 मई को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के सेंसेक्स ने 57,124.91 अंक के स्तर पर कारोबार की शुरुआत की थी। आज के कारोबार के बाद इस सूचकांक ने 52,930.31 अंक के स्तर पर कारोबार का अंत किया है। इस तरह 4 मई से लेकर अभी तक के इन 7 कारोबारी दिनों में सेंसेक्स में 4,194.60 अंक की गिरावट आ चुकी है। इसी तरह 4 मई को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के निफ्टी ने 17,096.60 अंक के स्तर से कारोबार की शुरुआत की थी और आज इस सूचकांक ने 15,808 अंक के स्तर पर कारोबार का अंत किया है। इस तरह निफ्टी भी 1,288.60 अंक यानी 7 प्रतिशत से अधिक लुढ़क चुका है।
अगर आज के कारोबार पर ही नजर डाले तो शेयर बाजार पिछले 9 हफ्ते के सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुका है। ब्याज दरों के बढ़ने की आशंका और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही बिकवाली के दबाव की वजह से घरेलू शेयर बाजार में भी घबराहट का माहौल बना हुआ है। शेयर बाजार में दिग्गज शेयरों के साथ ही छोटे और मंझोले शेयरों में भी लगातार गिरावट का रुख बना हुआ है। बैंकिंग सेक्टर से लेकर ऑटो, मेटल, एफएमसीजी और रियल्टी इंडेक्स में लगातार गिरावट का रुख बना हुआ है।
दूसरी ओर महंगाई को लेकर आरबीआई के सख्त रवैये ने बाजार को और भी ज्यादा सतर्क कर दिया है। हालांकि शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की ओर से बनाए जा रहे बिकवाली के दबाव को टालने के लिए घरेलू संस्थागत निवेशकों ने तेज खरीदारी करने की नीति अपनाई है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिस प्रकार के निगेटिव सेंटीमेंट्स बने हुए हैं, उनकी वजह से घरेलू संस्थागत निवेशकों की कोशिश सफल होती नजर नहीं आ रही है।
बाजार के जानकारों के मुताबिक अमेरिका में महंगाई 40 साल के सर्वोच्च स्तर पर बनी हुई है। बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में महंगाई दर 8.3 प्रतिशत की ऊंचाई पर है। रिकॉर्ड स्तर पर महंगाई के पहुंच जाने के कारण यूएस फेड की मॉनिटरी पॉलिसी में और कड़ाई आने की संभावना जताई जा रही है, जिसकी वजह से पूरी दुनिया के बाजार पर नकारात्मक असर पड़ने लगा है।
इसके साथ ही दुनिया भर के बाजार में लगातार गिरावट का रुख बना हुआ है। बुधवार के कारोबार में वॉल स्ट्रीट में जोरदार गिरावट दर्ज की गई। डाउ जोन्स 1.02 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ था, जबकि एस एंड पी 500 इंडेक्स 1.65 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ था। वहीं नैस्डेक में 3.18 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। इसी तरह एशियाई बाजारों में हैंगसेंग, निक्केई और कोस्पी में आधा से एक प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई, जबकि एसजीएक्स निफ्टी में 2 प्रतिशत से भी अधिक की गिरावट दर्ज की गई।
दुनिया भर के बाजारों में गिरावट के इस माहौल ने भारतीय शेयर बाजार में भी घबराहट की स्थिति बना दी है, जिसकी वजह से विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से भी अपना पैसा निकालने की फिराक में लग गए हैं। इसके कारण लगातार बिकवाली का दबाव बना हुआ है।
जानकारों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियां जब तक अनुकूल नहीं होती, तब तक घरेलू शेयर बाजार के भविष्य को लेकर कोई भी ठोस भविष्यवाणी कर पाना आसान नहीं है। अगर जल्दी ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थितियां नहीं सुधरी और रूस तथा यूक्रेन के बीच जारी युद्ध पर जल्द लगाम नहीं लग सका, तो पूरी दुनिया के बाजारों की तरह ही भारतीय शेयर बाजार में भी और गिरावट आ सकती है।
इसके साथ ही भारत में बढ़ रही महंगाई को लेकर देखते हुए रिजर्व बैंक ने जिस तरह 4 मई को ब्याज दरों में बढ़ोतरी की थी, उसी तरह अगले महीने मौद्रिक नीति समिति की बैठक में एक बार फिर ब्याज दरों में बढ़ोतरी होने की संभावना जताई जा रही है। अगर ऐसा हुआ तो भारतीय शेयर बाजार में एक बार फिर भगदड़ मचने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है, जिससे छोटे निवेशकों को काफी नुकसान हो सकता है।
धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंड प्रशांत धामी का कहना है कि मौजूदा परिस्थितियों में घरेलू शेयर बाजार में लगातार उतार चढ़ाव होने की संभावना बनी हुई है। बाजार की चाल का कुछ भी अनुमान नहीं लग पा रहा है। ऐसे में छोटे और खुदरा निवेशकों को बाजार से दूर रहने की नीति पर ही चलना चाहिए। मौजूदा समय में उन्हें बाजार में निवेश करने की जगह बाजार की चाल पर नजर रखनी चाहिए और बहुत जरूरी होने पर ही चुनिंदा शेयरों में निवेश करने की नीति अपनानी चाहिए।